________________
११
१४
२०
२२
لس
ग्रन्थानुक्रमणिका [१] प्रागम साहित्य की रूपरेखा
पौरुषेयता और अपौरुषेयता श्रोता और वक्ता की दृष्टि से प्रागमों के संरक्षण में बाधाएं पाटलीपुत्र-वाचना अनुयोग का पृथक्करण और पूर्वो का विच्छेद माथुरी वाचना वालभी वाचना देवधिगणिका पुस्तक लेखन पूर्वो के आधार से बने ग्रन्थ द्वादश अंग
दिगम्बर मत से श्रुत का विच्छेद अंगवाह्य ग्रन्थ
दिगम्बरों के स्थानकवासी के
श्वेताम्बरों के आगमों का रचनाकाल आगमों का विषय आगमों की टीकाएँ
दर्शन का विकासक्रम [२] प्रमेय खण्ड १-भगवान महावीर से पूर्व की स्थिति
(१) बेद से उपनिषत् पर्यन्त (२) भगवान् बुद्ध का अनात्मवाद
(३) जैन तत्त्वविचार की प्राचीनता २-~-भगवान् महावीर को देन अनेकान्तवाद
(१) चित्रविचित्र पक्षयुक्त पंस्कोकिलका स्वप्न ३----विभज्यवाद ४-~-अनेकान्तवाद
س
ه
३७.१२४
४१
५
xxxx WW.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org