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प्रन्थानुक्रमणिका।
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प्रास्ताविका दि। पृष्ठ विषयानुसामयिका
81-80/ (५) त्याद्वादके भंगोंका प्राचीन संडेत परिचय
80-8108नय, आदेश या रष्टियाँ। बार श्रीबहादुरसिंहवी-सरणासलि91-810 (.)प्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव प्रन्थमालासंपादकके कुछ प्रास्ताविक
(२)द्रव्यार्थिक पर्यायार्थिक ६१९-६२४
(३)प्रख्यार्थिक-प्रदेशार्थिक की मुखलालजीका 'आवियाप' ६२५-६२७
(५)भोपादेश-विधानादेश संपादकीय पकन्य
६२८-६३१
(५) व्यावहारिक और नैनयिक नप ५.
६७ नाम स्थापना द्रव्य भाव प्रस्तावना पृ०१-१०२
[२] प्रमाणतत्त्व
शानचर्चाकी जैनदृष्टि १ आगमयुगका जैनदर्शन १-१०२
६२ भागममें ज्ञानचर्चाके विकासकी भूमिकाएँ ५७ [१] प्रमेयतरव
इशामचर्चाका प्रमाणचर्चासे खातय प्राखाधिक
18 जैन भागमों में प्रमाणचर्चा 8. भगवान् महावीरखे पूर्वकी स्थिति
(१) प्रमाणके मेव (१)दसे उपनिषत् पर्यन्त
(२) प्रत्यक्षप्रमाणचर्चा (.) भगवानपुरका मनात्मवाद
(अ) इन्द्रियप्रत्यक्ष ()जैन परवविचारकी प्राचीनता .
(भा)नोहन्द्रियप्रत्यक्ष हुए भगवान महावीरकी देन भनेकान्तवाद .
(१) अनुमामचर्चा 1)चित्रविचित्र पक्षयुक्त पुंस्कोकिलका
(4) भनुमानके मेद
(भा) पूर्ववत् विभज्यवाद अनेकाम्तवाद
(1) शेषवत्
कार्येण (.) भगवान् पुरके मध्याकृत प्रम
२कारणेन (.)कोककी नित्यानित्यता सान्तानन्तता। ()लोकस्या है?
३ गुणेन (५)जीव-शरीरका भेदाभेद
अवयवेन (५)जीवकी नित्यानित्यता
५ भाश्रयेण जीवकी सान्वता-मनन्तता
(१) साधर्म्यवत् म.पुरका भनेकान्तबाद
(3) कालमेदसे त्रैविध्य (6) मध्य और पर्यायका मेदामेव
(3) अवयव चर्चा (म)ग्यविचार
(*) हेतुचर्चा (1) पर्यायविचार
(४) भौपम्यचर्चा (क)प्रव्यपर्यायका भेदाभेद
साधोपनीत (१)जीव और मजीवकी एकानेकता ।
(अ) किश्चित्साघम्योपनीत (१०) परमाणुकी नित्यानित्यता.
(आ) प्रायः साधम्योपनीत (1)मसि-नास्तिका भनेकान्त
(१) सर्वसाधम्योपनीत ६५ स्याद्वाप और ससमंगी
२ वैषम्योपनीत (१) भंगोंका इतिहास
(भ) किशिद्वैधयं (२)भवक्तव्यका स्थान
(मा) प्रायोवैधय (१) स्थाद्वादके भंगोंकी विशेषता
(इ) सर्ववैधर्म्य न्या०६१
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