________________
१. आराहणापडाया 449. संडसिया केइ जिया, अन्ने नियलेहिं दामिया चलणे ॥
अयसंकलसंकलिया, केई हत्थंडुयनिबद्धा ॥ ४४९ ॥ 450. काण वि पट्टा गहिया, केई सीयारिया रसंता य।
काण वि हियए अरला दवाविया, तह सिला बहुसो ॥ ४५० ॥ 451. सैटेहिं के वि निहया, नहेसु छुदाई केसि दिन्नाई ।
काण वि रुएण पूरिय गाढं सीवाविया ओट्ठा ॥ ४५१ ॥ 452. तिलकडाहिसु तलिया, सलिलपवाहे पवाहिया अन्ने ।
केइ पलीविय वहिया, इगहत्थं दाविआ अवरे ॥ ४५२ ॥ 453. उब्बंधिया तरूसं, केई टिंकलिस रोविया विवसा ।
हिमपाए सिसिरेणं जलेण सिंचाविया अन्ने ॥ ४५३॥ 454. सिरैछिन्ना के वि कया, जीहा-कर-चरण-नासछिन्ना य ।
उद्धरियलोयणजुया, काण वि पाडाविया दसणा ॥४५४॥ 455. लुयकन्ना के वि कया, उक्खयकेसा य छिन्नओट्ठउडा ।
केई सत्थेहिं हया, अन्ने बंधाविया गाढं ॥४५५॥ 456. अवरे य खरारूढा डिंडिमवजंतयम्मि पुरमज्झे ।
हिंडाविया विनडिया कलुणसरं कंदमाणा उ ॥ ४५६ ॥ 457. वहिया उद्दविया वा परिताविय तस्सिया य संतविया ।
संकामिय पीडाविय दूमिय संघट्टिया अवसा ॥४५७॥ 458. इय एव कुमारेहिं सत्ता रज्जाइ लहिय जे वहिया।
अन्नायभवभएणं अमुणियजिणधम्मसारेणं ॥४५८॥ 459. ते सव्वे खामेमो मण-वय-काएहिं सुट्टिओ धम्मे।
देमि भवदुक्खभीओ ताणं मिच्छुक्कडं अज ॥ ४५९ ॥ 460. एव नरत्ते पत्ते कयावराहाण खामणा विहिया ।
अह खामणं करेमी संपइ देवगइमासज्ज ॥ ४६०॥
१. हत्थिडु A. विना ।। २. सहोहिं A. विना॥ ३. बंदाई B. ॥ ४. सिरिछिन्ना D. F. विना॥ ५. °य नस्सिया य संठविया F. ॥ ६. पीलाविय F. ॥ ७. अवियाणियमरिहधम्मेणं A. विना॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org