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________________ १. आराहणापडाया 378. कंसारियाइया उ जे के चउरिंदिया मए पाणा । दुक्खे ठविया खामेमि ते अहं सव्वभावेणं ॥ ३७८ ॥ 379. जलयर -थलयर - खहयर - उर-भुयसप्पाण तिरिपणिंदीणं । सम्मुच्छिम - गब्भाण य अहुणा काहामि खामणयं ॥ ३७९ ॥ 380. जलयरजीवे खामेमि जे हए मच्छ- कच्छभे गाहे । सुसुमार-चक्के-दद्दुर-जलकरि-जलमाणुसे णेगे ॥ ३८० ॥ 381. हरिण - हरि-वग्ध-चित्तय-संवर - गोरहर - सूयर - सियाले । सरभ-विग-रिंछ-रुज्झय- ससाइ आरन्नए गे || ३८१ ॥ 382. गय-करह- तुरग - वेसर - रासभ - गो - गावि-महिस - मेसे य । - एड- सामु विराहिए थलयरे खामे || ३८२ ॥ 383. भारंड - मोर- कोइल - बलाह- सुग- हंस- गिद्ध - पारेवा | सारस-कोसिय-वायस-होला हिय- कुंच - ढिंका य ॥ ३८३॥ 384. जीवंजीव - कैविजल-चकोर - बग-चक्कवाग - चासा य । सैंवली लट्टा भयरव दुग्ग वही सालहीया य ॥ ३८४ ॥ 385. कुक्कुड कुक्कुँडि-इंडग लावग तित्तिर-कवोय-सिंचाणा । एमाइ खयरजीवे खामेमि तिहा वि उद्दविए || ३८५ ॥ 386. तह मणुयलोयबाहिं समुग्गपक्खी य विययपक्खी य । हिंडतेण भवम्मी विराहिए ते वि खामेमि ॥ ३८६ ॥ 387. कण्हा हि-गोरसप्पा कंकाहिय - पउम - नोंगिणी परडा । गोणस - अयगरपमुहे उरसप्पे दूमिए खामे || ३८७ ॥ 388. नउला कोला संडा गोहीओ बंभणीओ खाडहिला । घरकोइल-सरडाई भुयपरिसप्पे हए खामे || ३८८॥ 389. इय अभिहयमाईहिं विराहियाणं तिरिक्खजीवाणं । विहियं मिच्छा दुक्कडमह खामेमी नरे सव्वे ॥ ३८९ ॥ १. 'क-दुदरा जल° F ॥ २. कपिंजल A ॥ ३. समली A विना ॥ ४. क्कुडिF॥ ५. नागिणी पियणी ॥ प्रत्यन्तरे ॥ Jain Education International ३५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001045
Book TitlePainnay suttai Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1987
Total Pages427
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_anykaalin, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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