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१. आराहणापडाया
354. बहुहा कलंबवालुयपुलिणे गुरुभारभरियरहवहणं । भज्जियगं पिव भज्जण, रसियं पिव गालणाईयं ॥ ३५४ ॥
355. वल्लूरयं व कप्पण, चुन्नणगं चुन्नयं व णेगविहं । तत्ततवल्लीतलणं, लोहंगाराइखावणयं ॥ ३५५॥
356. इय नारयाण दुक्खं अनंतकाले वि जं मया विहियं । तं सव्वं खामेमी, संपइ तिरिए खमावेमि ॥ ३५६ ॥ 357. तत्थ उ ते पंचविहा एर्गिदियमाइ जाव पंचिंदी | एगिंदिय पंचविहा बायर - सुहमा य पुढवाई || ३५७ ॥ 358. तत्थ मए सुहुमाणं पैज्जापज्जाण दुड्डु जं विहियं ।
तं तिविहे गरिहे, अओ परं बायरे खामे || ३५८ ॥ 359. मट्टी खडी य तुयरी ऊसं अरणिट्ट-अब्भय-पलेवा । वन्नी गेरू लोणं विद्दुम माइया धाऊ ॥ ३५९ ॥ 360. रयण-मणि- फलिह-मणसिल-सुंचल-हरियाल - सिंधव-रसिंदा । हिंगुल - सोवीरंजण-कक्कर- पासाणपमुहा उ ॥ ३६० ॥ 361. पुढविक्काइयजीवा भवं भमंतेण जे मए केवि ।
अभियमाइपएहिं विराहिया ते वि खामेमि ॥ ३६१ ॥ 362. कूवाइ - वुट्ठिउदयं हरतणु - हिम - करग - ओस - घणउदही । महियाइ आउजीवे जे वहिए ते अहं खामे ॥ ३६२ ॥ 363. कणगा - ऽसणि-विज्जुक्का - मुम्मुर - इंगाल- जालमाईया | तेक्वाइयजीवा पयाविया ते वि खामेमि || ३६३ ॥ 364. घण-तणु- मंडलि-मह-सुद्ध - गुंज - उब्भामगुक्कलीवाया । एमाइवाउजीवे खामेमी जे मए निहए ॥ ३६४ ॥ 365. वणसइजिय दुह वृत्ता सुत्ते साहारणा य पत्तेया । गाणंताणतणू जाणं साहारणा ते उ ।। ३६५ ॥
१. मए वि F. ॥ २. पजत्तमपज्जत्तयाण जं दुहु । विहियं तमहं गरिहे प्रत्यन्तरे ॥
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