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________________ २१८ सिरिउजायणसूरिविरदयकुवलयमालाकहाअंतग्गयं 2457. गूढं पवयणसारं अंगोवंगे समुहसरिसम्मि । अम्हारिसेहिं कत्तो तं नजइ थोयबुद्धीहिं ? ॥२७३॥ 2458. तं पुण आयरिएहिं पारंपरएण दीवियं एत्थ । जइ होज न आयरिया को तं जाणेज सारमिणं १ ॥ २७४ ॥ 2459. सूयणमेत्तं सुत्तं, सूइज्जइ केवलं तहिं अत्थो । जं पुण से वक्खाणं तं आयरिया पगासेंति ॥ २७५ ॥ 2460. बुद्धीसिणेहजुत्ता आगमजलणेण सुटु दिप्पंता । कह पेच्छउ एस जणो सूरिपईवा जहिं णत्थि ? ॥ २७६ ॥ 2461. चारित्तसीलकिरणो अन्नाणतमोहनासणो विमलो । चंदसमो आयरियो भविए कुमुए व्व बोहेइ ॥ २७७॥ 2462. दंसणविमलपयावो दसदिसिपसरंतनाणकिरणिल्लो । जत्थ ण रवि व्व सूरी मिच्छत्ततमंधओ देसो ॥ २७८ ॥ 2463. उज्जोयओ व्व सूरो, फलओ कप्पमो व्व आयरिओ। चिंतामणि व्व सुहओ जंगमतित्थं पणिवयामि ॥ २७९ ॥ 2464. जे जत्थ केइ खेत्त काले भावे व सबहा अत्थि । तीताणागय-भूया ते आयरिए पणिवयामि ॥ २८० ॥ 2465. आयरियनमोकारो जइ लब्भइ मरणकालवेलाए । भावेण कीरमाणो सो होहिइ बोहिलाभाए ॥ २८१ ॥ 2466. आयरियनमोकारो जइ कीरइ तिविहजोगजुत्तेहिं । तो जम्म-जरा-मरणे छिंदइ बहुए न संदेहो ॥ २८२ ॥ 2467. आयरियनमोक्कारो कीरंतो सल्लगत्तणो होइ । होइ नरामरसुहओ अक्खयफलदाणदुललिओ ॥ २८३॥ 2468. तम्हा करेमि सव्वायरेण सूरीण हो ! नमोक्कारं । कम्मकलंकविमुक्को अइरा मोक्खं पि पावेस्सं ॥ २८४ ॥ १. त्यं च पणभो हं॥ मुकु० प्रत्य० ॥ २. °णो होइ पुणो बोहि° खे०॥ ३. °हभावकरणेण। खे०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001045
Book TitlePainnay suttai Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1987
Total Pages427
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_anykaalin, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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