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सिरिवीरभदायरियविरइया 1874. बायरवइप्पओगं बायरकाएण बायरमणं च ।
बायरकायं पि तहा रुंभइ सुहुमेण कारण ॥ ९४२॥ 1875. तेणेव सुहुममण-वइजोगं रुभित्तु सुहुमकाएण।
काइयजोगे सुहुमम्मि सुहुमकिरियं जिणो झाई ॥ ९४३ ॥ 1876. सुहुमकिरिएण झाणेण निरुद्ध सुहुमकायजोगे वि।
सेलेसी होइ तओ अबंधओ निचलपएसो ॥ ९४४॥ 1877. देहतिगकम्मसेसं हंतुं पंचक्खरुग्गिरणकालं ।
उच्छिण्णकिरियमप्पडिवाई झाणं झियाइ तओ ॥ ९४५ ॥ 1878. सो तेण पंचमताकालेण खवेइ चरिमझाणेण ।
अणुइण्णाओ दुचरिमसमए सव्वाओ पयडीओ ॥ ९४६ ॥ 1879. चरमसमयम्मि तो सो खवेइ वेइजमाणपयडीओ।
बारस तित्थयरजिणो, इक्कारस सेससव्वण्णू ॥ ९४७॥ 1880. एसो अविग्गहाए गईइ समए अणंतरे चेव ।
पावइ जगस्स सिहरं खितं कालं च अफुसंतो ॥९४८॥ 1881. उडु बंधणमुक्को तहासहावत्तओ य सो जाइ ।
जह एरंडस्स फलं बंधणमुक्कं समुप्फिडइ ॥९४९॥ 1882. परओ धम्माभावा तस्स गई नत्थि कम्ममुक्कस्स ।
होइ अहम्मेण ठिई साइ-अणंतं च सेकालं ॥९५० ॥ 1883. इह देहतिगं मुत्तुं सिज्झइ गतुं तहिं सहावत्यो ।
चरिमतणुतिभागूणं अवगाहमुवेइ जीवघणं ॥ ९५१ ॥ 1884. ईसीपन्भाराए सीयाए जोयणेण लोगंतो ।
सिद्धाणोगाहणया उक्कोसं कोसछन्माए ॥ ९५२ ॥ 1885. तइलोयमत्थयत्यो सो सिद्धो दव्व-पज्जवसमेयं ।
जाणइ पासइ भगवं तिकालजुत्तं जगमसेसं ॥९५३॥ 1886. भावे सम-विसमत्थे सूरो जुगवं जहा पयासेइ ।
लोगमलोगं च तहा केवलनाणं पयासेइ ॥ ९५४॥
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