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२. आराहणापडाया
१५५ 1777. लेसाईयं पत्तो परिणामं नाण-दंसणसमग्गो ।
उप्पण्णकेवलवरो पावइ सिद्धिं धुयकिलेसो ॥ ८४५॥ लेसा ६॥
[गा. ८४६-६४. समाहिलाभदारस्स सत्तमं आराहणाफलपडिदारं] 1778. केई उक्कस्साऽऽराहणाइ खविऊण घाइकम्मंसे ।.
केवलिणो लोयग्गं पत्ता सिझंति विहुयरया ॥ ८४६॥ 1779. अह मज्झिममाराहणमाराहिय सावसेसकम्मंसा ।
चइऊण पूइदेहं हवंति लवसत्तमा देवा ॥ ८४७॥ 1780. कप्पोवगा सुरा जं अच्छरसहिया सुहं अणुहवंति ।
ततो अणंतगुणियं सुक्खं लवसत्तमसुराणं ॥ ८४८॥ 1781. केइ वि मज्झिमलेसा चरित्त-तव-नाण-दसणगुणड़ा।
वेमाणियदेविंदा समाणिया वा सुरा हुंति ॥ ८४९॥ 1782. सुयभत्तीइ समग्गा उग्गतवा नियम-जोगसंसुद्धा ।
लोगंतिया सुरवरा हवंति आराया धीरा ॥ ८५०॥ 1783. जावइयाओ रिद्धीओ हुँति इंदियगयाणि य सुहाणि ।
फुडमागमेसिभद्दा लहंति आराहया ताई ॥८५१ ।। 1784. जे वि उ जहणियं तेउलेसियाऽऽराहणं पवनंति ।
ते वि जहण्णेणं चिय लहंति सोहम्मदेवि४ि ॥ ८५२ ॥ 1785. भोगे अणुत्तरे भुंजिऊण तत्तो चुया सुमाणुस्से।
इड्ढिमउलं चइत्ता चरंति जिणदेसियं धम्मं ॥ ८५३॥ 1786. सइमंता धीमंता सद्धा-संवेय-वीरिओवगया।
जित्ता परीसहचमुं उवसग्गरिऊ अभिभवित्ता ॥ ८५४॥ 1787. सुकल्लेसमुवगया सुक्कज्झाणेण खवियकम्मंसा ।
उम्मुक्ककम्मकवया उविंति सिद्धिं धुयकिलेसा ॥ ८५५ ॥ 1788. एवं संथारगओ विसोहइत्ता वि दंसण-चरित्तं ।
परिवडइ पुणो कोई झायंतो अट्ट-रोदाई ॥ ८५६ ॥
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