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२. आराहणापडाया 1628. न वि तं करिति रिउणो, न वाहिणो, न य मयारिणो कुविया ।
जं काहिंतऽवयारं मुणिणो कुविया कसायरिऊ ७ ॥ ६९६ ॥ 1629. इंदियविसयपसत्ता पडंति संसारसायरे जीवा ।
पक्खि व्व छिण्णपक्खा सुसीलगुणपेहुणविहीणा ॥ ६९७ ॥ 1630. महलितं व लिहंतो असिधारं जह सुहं मुणइ जीवो।
तह विसयसुहं मण्णइ सुहावहं भवसहस्सेसु ॥ ६९८ ॥ 1631. न लहइ जहा लिहंतो मुहोलियं अट्ठियं रसं सुणओ।
सो सयतालुयरसयं विलिहंतो मण्णए सुक्खं ॥ ६९९ ॥ 1632. महिलापसंगसेवी न लहइ किंचि वि सुहं तहा पुरिसो।
सो मण्णए वराओ सयकायपरिस्समं सुक्खं ॥७०० ॥ 1633. सुट्ठ वि मग्गिजंतो कत्थ वि कयलीए नस्थि जह सारो।
इंदियविसएसु तहा नत्थि सुहं सुडु वि गविढं ॥ ७०१॥ 1634. गिम्हुम्हहयस्स दुयं जह धावंतस्स विरलतरुहिट्ठा ।
छायासुहमप्पं से, तह थेवं इंदियसुहं पि ॥ ७०२॥ 1635. सोत्तेण पवसियपिया, चक्खूराएण माहुरो वणिओ।
घाणेण रायपुत्तो, निहओ रसणाइ सोदासो ॥ ७०३॥ 1636. फासिदिएण दिट्ठो नट्ठो सोमालियामहीवालो।
इक्किक्केण वि निहया, किं पुण जे पंचसु पसत्ता १ ॥ ७०४ ॥ 1637. ता धीर ! धीवलेणं दुईते दमसु इंदियतुरंगे ।
तेणुक्खयपडिवक्खो हराहि आराहणपडायं ८ ॥ ७०५ ॥ 1638. निदं जिणाहि निचं, जं सा पुरिसं अचेयणं कुणइ ।
निदाइ समावडिओ पुरिसो वाहेज दोसेसु ॥७०६ ॥ 1639. निदातमस्स सरिसो जियाण जं तारिसो तमो नत्थि ।
ता जिणसु तयं सुपुरिस ! निदं झाणस्स विग्धयरिं ॥७०७॥ 1640. जागरिया धम्मीणं, आहम्मीणं च सुत्तया सेया।
वच्छाहिवभइणीए अकहिंसु जिणो जयंतीए ॥ ७०८॥
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