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________________ १४३ २. आराहणापडाया 1628. न वि तं करिति रिउणो, न वाहिणो, न य मयारिणो कुविया । जं काहिंतऽवयारं मुणिणो कुविया कसायरिऊ ७ ॥ ६९६ ॥ 1629. इंदियविसयपसत्ता पडंति संसारसायरे जीवा । पक्खि व्व छिण्णपक्खा सुसीलगुणपेहुणविहीणा ॥ ६९७ ॥ 1630. महलितं व लिहंतो असिधारं जह सुहं मुणइ जीवो। तह विसयसुहं मण्णइ सुहावहं भवसहस्सेसु ॥ ६९८ ॥ 1631. न लहइ जहा लिहंतो मुहोलियं अट्ठियं रसं सुणओ। सो सयतालुयरसयं विलिहंतो मण्णए सुक्खं ॥ ६९९ ॥ 1632. महिलापसंगसेवी न लहइ किंचि वि सुहं तहा पुरिसो। सो मण्णए वराओ सयकायपरिस्समं सुक्खं ॥७०० ॥ 1633. सुट्ठ वि मग्गिजंतो कत्थ वि कयलीए नस्थि जह सारो। इंदियविसएसु तहा नत्थि सुहं सुडु वि गविढं ॥ ७०१॥ 1634. गिम्हुम्हहयस्स दुयं जह धावंतस्स विरलतरुहिट्ठा । छायासुहमप्पं से, तह थेवं इंदियसुहं पि ॥ ७०२॥ 1635. सोत्तेण पवसियपिया, चक्खूराएण माहुरो वणिओ। घाणेण रायपुत्तो, निहओ रसणाइ सोदासो ॥ ७०३॥ 1636. फासिदिएण दिट्ठो नट्ठो सोमालियामहीवालो। इक्किक्केण वि निहया, किं पुण जे पंचसु पसत्ता १ ॥ ७०४ ॥ 1637. ता धीर ! धीवलेणं दुईते दमसु इंदियतुरंगे । तेणुक्खयपडिवक्खो हराहि आराहणपडायं ८ ॥ ७०५ ॥ 1638. निदं जिणाहि निचं, जं सा पुरिसं अचेयणं कुणइ । निदाइ समावडिओ पुरिसो वाहेज दोसेसु ॥७०६ ॥ 1639. निदातमस्स सरिसो जियाण जं तारिसो तमो नत्थि । ता जिणसु तयं सुपुरिस ! निदं झाणस्स विग्धयरिं ॥७०७॥ 1640. जागरिया धम्मीणं, आहम्मीणं च सुत्तया सेया। वच्छाहिवभइणीए अकहिंसु जिणो जयंतीए ॥ ७०८॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001045
Book TitlePainnay suttai Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1987
Total Pages427
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_anykaalin, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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