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२. आराहणापडाया 1525. जं सुद्धिकारणकयं कारणसुद्धीइ सुज्झइ तयं तु ।
__कतो अमेज्झघडियस्स होइ सुद्धी सरीरस्स १ ॥ ५९३ ॥ 1526. कललगयं दसरत्तं अच्छइ, कलुसीगयं च दसरत्तं ।
__ दसरत्तं जंबालं अच्छइ गब्मम्मि तं बीयं ॥ ५९४ ॥ 1527. मासेणऽब्बुयभूयं, तत्तो मासेण होइ घणभूयं ।
जायइ मासेण पुणो वि मंसपेसी चउत्थेण ॥ ५९५॥ 1528. पंचममासे पुलया, अंगोवंगाई हुति मासेणं ।
मासस्मि सत्तमे तस्स हुंति चम्म-ऽटि-लोमाणि ॥ ५९६ ॥ 1529. फंदण अट्ठममासे नवमे दसमे व होइ निग्गमणं ।
सव्वासु अवत्थासु वि दुगुंछियं देहमिणमसुई ॥ ५९७ ॥ 1530. अह सत्तमम्मि मासे उप्पलनालसरिसा हवइ नाही ।
तप्पभिई आहारइ वमियं मायाइ सो तीए ॥ ५९८॥ 1531. असुइं अपेच्छणिजं दुग्गंधं मुत्त-सोणियदुवारं ।
वुत्तुं पि लज्जणिज्जं पोट्टमुहं जम्मभूमी से ॥ ५९९ ॥ 1532. जं किंचि खाइ, जं किंचि कुणइ, जं किंचि पियइ निल्लज्जो।
बालो दुगुंछणिज्जो मेज्झाऽमेज्झं अयाणतो ॥ ६००॥ 1533. बालत्तणे कयं सव्वमेव जइ नाम संभरिज तओ।
अप्पाणम्मि वि गच्छे निव्वेयं, किं पुण परम्मि १ ॥ ६०१॥ 1534. अट्ठीण हुंति तिण्णि उ सयाई भरियाई असुइमज्जाए।
सव्वम्मि चेव देहे संधीण य तत्तिया भणिया ॥ ६०२॥ 1535. ण्हारूण नव सयाई, सिरासयाइं च हुंति सत्तेव ।
देहम्मि मंसपेसीण हुंति पंचेव य सयाई ॥ ६०३॥ 1536. चत्तारि सिराजालाणि हुंति, सोलस य कंदराईणि ।
छ चेव सिराकुच्चा देहे, दो मंसरजूणि ॥ ६०४॥ 1537. सत्त तयाओ, कालेज्जयाई सत्तेव हुंति देहम्मि। ..
सव्वं पि रोमकोडीण हुंति असिई सयसहस्सा ॥ ६०५॥
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