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२. आराहणापडाया
1189. आयारत्थो दोसे पयहिय खमयं गुणेसु ठावेइ ।
आयारत्थो तम्हा निज्जमओ होइ आयरिओ १ ॥ २५७ ॥ 1190. चोदस-दस - नवपुव्वी महामई सायरो व्व गंभीरो । कपव्ववहारधरो भइ आहारखं नाम ।। २५८ ॥ 1191 नासिज्ज अगीयत्थो चउरंगं तस्स लोयसारंगं ।
नट्ठम्मि य चउरंगे न य सुलहं होइ चउरंगं ॥ २५९ ॥ 1192. संसारसायरम्मी अणंतभवतिक्खदुक्खसलिलम्मि ।
संसरमाणो दुक्खेण लहइ जीवो मणुस्सत्तं ॥ २६० ॥ 1193 तम्मि वि दुलहलंभा जिणवयणसुई य, तीइ पुण सद्धा । लद्धाए सद्धाए सुदुलहो संजमो होइ ॥ २६९ ॥ 1194. लद्धेय संजमे सो संवेयकरिं सुई अपाविंतो ।
परिवडइ मरणकाले अकयाहारस्स पासम्मि ॥ २६२॥ 1195. वंसं सुहेण छिज्जइ कड्ढिज्जइ दुक्करं कुडंगाओ ।
इय संजयस्स वि मणो विसयकुडंगाओ कडूढेउं ॥ २६३ ॥ 1196. आहारमओ जीवो कहिंचि आहारविरहिओ संतो ।
अवसो न रमइ पसत्थतव - संजमारामे ॥ २६४ ॥ 1197. जिणवयणामयसुइपाणएण सरसाणुसडिवयणेण ।
तन्हा - छुहाकिलंतो वि होज्ज झाणम्मि आउत्तो ॥ २६५ ॥ 1198 पढमेण व दुचेण व कयाइ उब्बाहिओ अददधम्मो ।
कलुणाको लुणियं वा जायण किवणत्तणं कुज्जा ॥ २६६॥ 1199 उक्कविज्ज व सहसा, निग्गच्छिज्ज व करिज्ज उड्डाहं ।
गच्छिज्ज व मिच्छत्तं, मरिज्ज असमाहिमरणेणं ॥ २६७ ॥ 1200 तस्स उवाएण तओ समाहिकरणाणि कुणइ गीयत्थो । उस्सग्गऽववायविऊ विहिणा हिययं पसामिंतो ॥ २६८ ॥ 1201. जिणवयणसुइपहावा पावियपसमो पणट्टमोहतमी । गय परिओस - ओसो विराग-रोसो सुहं सुयइ ॥ २६९ ॥
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