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पाईणायरियविरइया 585. नाणमकारण बंधू नाणं मोहंधयारदिणबंधू ।
नाणं संसारसमुद्दतारणे बंधुरं जाणं ॥ ५८५॥ 586. नाणेण सव्वभावा नजंती सुहुम-बायरा लोए ।
तम्हा नाणं कुसलेण सिक्खियव्वं पयत्तेणं ॥ ५८६॥ 587. तं नत्थि जं न पासइ सज्झायविऊ पैयत्थपरमत्थं ।
गच्छइ य सुगइमूलं खणे खणे परमसंवेगं ॥ ५८७॥ 588. कम्ममसंखिजभवं खवेइ अणुसमयमेव आउत्तो ।
अन्नयरम्मि वि जोगे सज्झायम्मी विसेसेण ॥ ५८८॥ 589. बारसविहम्मि वि तवे सऽभिंतरबाहिरे जिणक्खाए ।
___ न वि अत्थि न वि य होहिइ सज्झायसमं तवोकम्मं ॥ ५८९॥ 590. उक्कोसो सज्झाओ चउदसपुवीण बारसंगाई।
तत्तो परिहाणीए जाव तयत्थो नमोकारो ॥ ५९० ॥ 591. सज्झायं कुव्वंतो पंचिंदियसंवुडो तिगुत्तो य ।
भवइ य एगग्गमणो विणएण समाहिओ भिक्खू ॥ ५९१ ॥ 592. जह जह सुयमोगाहइ अइसयरसपसरसंजुयमउव्वं ।
तह तह पल्हाइ मणं नवनवसंवेगसद्धाए ॥ ५९२॥ 593. सज्झायभावणाए य भाविया हुंति सव्वगुत्तीओ। गुत्तीहि भावियाहि य मरणे आराहओ होइ ॥ ५९३॥
॥स्वाध्यायद्वारम् ३॥
[गा. ५९४-६३३. चउत्थं पंचमहव्वयअणुसट्ठिपडिदारं] . 594. एगिदिएसु पंचसु तसेसु कय-कारणा-ऽणुमइभेयं ।
संघट्टण परितावण विराहणं चयसु तिविहेणं ॥ ५९४ ॥ 595. जइ मिच्छदिट्ठियाण वि जत्तो केसिंचि जीवरक्खाए ।
कह साहूहिं नएसो कायव्वो मुणियसारेहिं १ ॥ ५९५ ॥
१. पावइ F. ॥ २. पसस्थ° C.॥
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