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१०. संथारगपइण्णयं २३८२. हायंति जस्स जोगा, जराइविविहा य हुंति आयंका ।
आरुहइ य संथारं सुविसुद्धो तस्स संथारो ॥ ३२॥ २३८३. जो गारवेण मत्तो नेच्छइ आलोयणं गुरुसगासे ।
आरुहइ य संथारं, अविसुद्धो तस्स संथारो ॥ ३३॥ २३८४. जो पुण पत्तभूओ करेइ आलोयणं गुरुसगासे ।
आरुहइ य संथारं, सुविसुद्धो तस्स संथारो ॥ ३४ ॥ २३८५. जो पुण दंसणेमइलो सिढिलंचरित्तो करेइ सामन्नं ।
आरुहइ य संथारं, अविसुद्धो तस्स संथारो ॥ ३५॥ २३८६. जो पुण दंसणसुद्धो आयचरित्तो करेइ सामन्नं ।
आरुहइ य संथारं, सुविसुद्धो तस्स संथारो ॥३६॥ २३८७. जो रागदोसरहिओ तिगुत्तिगुत्तो तिसल्ल-मयरहिओ ।
आरुहइ य संथारं, सुविसुद्धो तस्स संथारो ॥ ३७॥ २३८८. तिहिं गारवेहिं रहिओ तिदंडपंडिमोयगो पहियकित्ती।
आरुहइ य संथारं, सुविसुद्धो तस्स संथारो ॥ ३८ ॥ २३८९. चउविहकसायमहणो चंउहिं विकहाहिं विरहिओ निचं ।
आरुहइ य संथारं, सुविसुद्धो तस्स संथारो ॥ ३९ ॥ २३९०. पंचमहन्वयकलिओ पंचसु समिईसु सुंझुमाउत्तो।
आरुहइ य संथारं, सुविसुद्धो तस्स संथारो ॥ ४०॥ २३९१. छक्काया पडिविरओ सत्तभयट्ठाणविरहियमईओ।
आरुहइ य संथारं, सुविसुद्धो तस्स संथारो ॥४१॥ २३९२. अट्ठमयट्ठाणजढो कम्मट्ठविहस्स खवणहेउत्ति ।
आरुहइ य संथारं, सुविसुद्धो तस्स संथारो ॥ ४२ ॥
१. जरा य वि सं० पु० सा०॥ २. अविसु जे० पु०॥ ३. गाथेयं सं० प्रतौ नास्ति ॥ ४. °णरहिमो सिजे०॥ ५. सढिल° पु०॥ ६. मइर जे०॥ ७. °परिमो' सं० पु०॥ ८. चउविहवि० सं०॥ ९. हाहिं वजिओ सं० पु०॥ १०. सुट्ट आउ जे० सा०॥ ११. °मइहा सं०॥
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