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पइन्नयसुत्तेसु ८५. एगद्विभाग काऊण जोयणं तस्स भागछप्पण्णं ।
चंदपरिमंडलं खलु, अंडयालीसा य सूरस्स ॥ ८५॥ जहिं देवा जोइसिया वरतरुणीगीय-वाइयरवेणं ।
निच्चसुहिया पमुइया गयं पि कालं न याणंति ॥ ८६ ॥ ८७. छप्पन्नं खलु भागा विच्छिन्नं चंदमंडलं होइ।
अडवीसं च कलाओ बाहल्लं तस्स बोद्धव्वं ॥ ८७॥ ८८. अडयालीसं भागा विच्छिन्नं सूरमंडलं होड।
चउवीसं च कलाओ बाहलं तस्स बोद्धव्वं ॥ ८८॥ ८९. अद्धजोयणिया उ गहा, तस्सऽद्धं चेव होइ नक्खत्ता।
नक्खत्तद्धे तारा, तस्सऽद्धं चेव बाहलं ॥ ८९॥ जोयणमद्धं तत्तो य गाउयं पंच धणुसया होति।
गह-नक्खत्तगणाणं तारविमाणाण विक्खंभो ॥ ९०॥ ९१. जो जैस्स उ विक्खंभो, तस्सऽद्धं चेव होइ बाहल्लं ।
तं तिगुणं सविसेसं तु परिरओ होइ बोद्धव्वो ॥ ९१ ॥ ९२. सोलस चेव सहस्सा अट्ठ य चउरो य दोन्नि य सहस्सा।
जोइसियाण विमाणा वहंति देवाऽभिओगा उ ॥ ९२॥ ९३. पुरओ वहंति सीहा, दाहिणओ कुंजरा महाकाया ।
पञ्चत्थिमेण वसहा, तुरगा पुण उत्तरे पासे ॥ ९३॥
[गा. ९४-९६. जोइसियाणं गतिपमाणं इड्ढी य] ९४. चंदेहि उ सिग्घयरा सूरा, सूरेहिं तह गहा सिग्घा ।
नक्खत्ता उ गहेहि य, नक्खत्तेहिं तु ताराओ ॥ ९४॥ सव्वऽप्पगई चंदा, तारा पुण होंति सव्वसिग्धगई।
एसो गईविसेसो जोइसियाणं तु देवाणं ॥ ९५ ॥ ९६. अप्पिड्ढिया उ तारा, नक्खत्ता खलु तओ महिड्ढियए ।
नक्खत्तेहिं तु गहा, गहेहिं सूरा, तओ चंदा ॥ ९६ ॥
१. अडयाला होइ सूरस्स प्र० सा० ॥ २. जस्सा वि° सा० ॥
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