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________________ २१६ स्थानाङ्गसूत्रटीकायाः ग्रन्थान्तरेभ्यः साक्षितयोद्धृतानां पाठानामकारादिक्रमेण सूचिः उद्धृतः पाठः पृष्ठाङ्कः। उद्धृतः पाठः पृष्ठाङ्कः सीसे जइ आमते....बृहत्कल्प० १४५७] ६६० | से णूणं भंते !..भगवती० १३।१।२९-३०] २९६ सीहाइसु अभिभूओ....[पञ्चव० १६२०] १६१ से भिक्खू वा [दशवै० ४।१०] ८५१ सु औ जस् [पा० ४।१।२] ७३४ सेटिं विलग्गओ तं.....[विशेषाव० १२७८] ५५६ सुंके सणिंचरे [ ] ८५१ सेणाहिव भोइय मयहरे...आव०नि०१३५९] ८२१ सुत्तं १ पयं २....[विशेषाव० १००२] सेयं मे अहिन्जिउं .....[दशवै० ४।१] ८५१ सुत्तं सुत्ताणुगमो.....विशेषाव० १००१] १६/ सेसा उ दंडनीई...[आव०नि० १६९] ७७५ सुत्तत्थथिरीकरणं विणओ....[ओघनि०६०९] ६९३ | सेसा न होंति विगई .....[पञ्चव० ३७६] ३४७ सुत्तत्थविऊ लक्खणजुत्तो.... [ ] २३६ | सेहस्स तिन्नि भूमी...[व्यव० १०॥४६०४] २१९ सुत्तत्थे निम्माओ ..... (पञ्चव० १३१५] ६०३ | सेहस्स निरइयारं तित्थंतरसंकमे..... सुत्तत्थे निम्माओ.... [पञ्चव० १३१५] २३७ । विशेषाव० १२६९] | ५५५ सुत्तप्फासियनिज्जुत्ति-... [विशेषाव० १०१०] १६ | सो आणा-अणवत्थं.... निशीथभा० २३४८] ५४२ सुत्तस्स व अत्थस्स व..... निशीथ० ५४५९] ६५२ सो तम्मि चेव.....[व्यव० भा० ४५१७] ५४७ सुत्ते चउसमयाओ...विशेषणवती २३] २९९ | सो दाइ तवोकम्मं ....[आव० नि० १५८३] ८५७ सुद्धं च अलेवकडं.... [व्यव० ९।३८२०] २५० | सो दाइ तवोकम्मं ....[आव०नि० १५८१] ८५६ सुद्धो तह त्ति सम्मं ....[ ] ७२८ | सो पासत्थो दुविहो......[ ] ८८४ सुपसत्था विहयगई ३०....[ ] सो पुण ईहावायावेक्खाउऽवग्गहो..... सुयणाणम्मि अभत्ती..... आव०नि० १४२२] विशेषाव० २८३] सुयवं तवस्सि परिवारवं च..... सो पुण गच्छस्सऽट्ठो उ..... [व्यवहारभा० २५४३] । व्यवहारभा० ४५७१] ४१० सुलभा सुरलोयसिरी .....[ ] | सो ववहारविहिन्नू.... [व्यव०भा० ४४८९] ५४७ सुसमसुसमाणुभावं....[बृहत्क्षेत्र० ३०२] सो वि हु खओवसमओ...[विशेषाव०५७४] ८२ सुस्सूसणा अणासायणा.....[ ] | सो संकमो त्ति भन्नइ ....[कर्मप्र० २।१] ३७७ सुह-दुक्ख-बंध-...विशेषाव० २४१७] सो होइ अभिगमरुई...... [उत्तरा०२८।२३] ८६७ सुहदुक्खबहुसईयं कम्मक्खेत्तं .....[ ] ३२६ | सोउं भणइ सदोसं...... [विशेषाव० २५१५] ७०९ सूओ १ दणो २.....[ ] सोणिय मंसं चम्म.....[आव०नि० १३६५] ८२० सूक्ष्मयुक्तिशतोपेतं ......[ ] | सोणियमुत्तपुरीसे .....[आव० नि० १४१४] ८२० सूत्रोक्तस्यैकस्याप्यरो-......[ ] सोमणस-मालवंता...बृहत्क्षेत्र० ५।४८] १४३ सूरकिरियाविसिट्ठो गोदोहाइकिरियासु ..... | सोमणसगंधमायण-...[ ] ७५६ [विशेषाव० २०३५] ३४० सोमणसाओ तीसं छच्च.... बृहत्क्षेत्र० ३४६] ३८२ सूर्यदृष्टं तु यद्.....[ ] ५८३ | सोलस उग्गमदोसा... [पिण्डनि० ४०३] २७० से केणऽट्टेणं भंते !..[भगवती०१२।४।४७] २६८ | सोलस दहिमुहसेला .....[ ] ३९५ ७०० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001029
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri, Jambuvijay
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages588
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size11 MB
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