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________________ [सू० २७३] चतुर्थमध्ययनं चतुःस्थानकम् । प्रथम उद्देशकः । सुरुवस्स णं भूतिंदस्स भूतरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहारूववती, बहुरूवा, सुरूवा, सुभगा, एवं पडिव । पुण्णभस्स णं जक्खिंदस्स जक्खरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा - पुत्ता, बहुपुत्तिता, उत्तमा, तारगा । एवं माणिभद्द व । भीमस्स णं रक्खसिंदस्स रक्खसरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा - पउमा, वसुमती, कणगा, रतणप्पभा । एवं महाभीमस्स वि । किंनरस्स णं किंनरिंदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा - वडेंसा, केतुमती, रतिसेणा, रतिप्पभा, एवं किंपुरिसस्स वि । सप्पुरिसस्स णं किंपुरिसिंदस्स किंपुरिसरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा - रोहिणी, णवमिता, हिरी, पुप्फवती, एवं महापुरिसस्स वि । अतिकायस्स णं महोरगिंदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहाभुयगा, भुयगवती, महाकच्छा, फुडा एवं महाकायस्स वि । गीतरतिस्स णं गंधव्विंदस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहासुघोसा, विमला, सुस्सरा, सरस्सती, एवं गीयजस्व । चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, 15 तंजहा - चंदप्पभा, दोसिणाभा, अच्चिमाली, पभंकरा । एवं सूरस्स वि, णवरं सूरप्पभा, दोसिणाभा, अच्चिमाली, पभंकरा । इंगालगस्स णं महग्गहस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा - विजया, वेजयंती, जयंती, अपराजिता । एवं सव्वेसिं महग्गहाणं जाव भावके उस्स। Jain Education International ३४५ For Private & Personal Use Only 5 10 सक्क्स्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा- रोहिणी, मयणा, चित्ता, सोमा । एवं जाव वेसमणस्स । ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा - पुढवी, राती, रयणी, विज्जू । एवं जाव व॑रुणस्स । [टी०] अन्तराधिकारादेव देवपुरुषाणां स्त्रीकृतमन्तरं प्रतिपादयन् 25 चमरस्सेत्यादिकमग्रमहिषीसूत्रप्रपञ्चमाह, कण्ठ्यश्चायम्, नवरं महारन्नोत्त 20 www.jainelibrary.org
SR No.001028
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri, Jambuvijay
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages579
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size11 MB
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