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________________ सुत्को ८८४ उत्तरज्झयणसुत्तस्स सुत्ताणुक्कमो ४६३ सुत्तादि सुत्तंको सुत्तादि फासओ परिणया जे उ १४७१ बालाण य अकामं तु १३२ पा० , मउए जे उ १४८७ बालाणं अकामं तु १३२ , लहुए जे उ १४८९ बालाभिरामेसु दुहावहेसु ४२३ " लुक्खए जे उ १४९३ बालेहिं मूदेहिं अयाणएहिं ,, सीयए जे उ १४९० बावत्तरि कलाओ य फासस्स कायं गहणं वयंति १३०९ बावीससहस्साई १५३२ फासाणुगासाणुगए य जीवे १३१३ बावीस सागराई १६८५ फासाणुरत्तस्स नरस्स एवं १३१८ बावीस सागरा ऊ १६१७ फासाणुवाए ण परिग्गहेण १३१४ बुद्धस्स निसम्म भासियं ३२७ * फासिदिए (फासिंदियनिग्गहेणं बुद्धे परिनिव्वुए चरे ३२६ भंते!) ११६८ बेइंदियकायमइगओ फासुयम्मि अणाबाहे १४३८ बेइंदिया उ जे जीवा १५७९ फासे अतित्ते य परिग्गहम्मि १३१५ भइणीओ मे महाराय! फासे विरत्तो मणुओ विसोगो १३२० भणंता अकरेंता य १७० फासेसु जो गेहिमुवेइ तिव्वं १३१० * भत्तपच्चक्खाणेणं भंते ! ११४२ बला संडासतुंडेहिं भवतण्हा लया वुत्ता बहिता उड्ढमायाए १७४ पा० * भवंति एत्थ सिलोगा ५१३ बहिया उड्ढमादाय १७४ भाणू य इति के वुत्ते ? बहुआगमविन्नाणा १७१४ भायरो मे महाराय ! बहुमाई पमुहरी भारिया मे महाराय! बहुयाणि उ वासाणि * भावसच्चेणं भंते! ११५२ बहुं खु मुणिणो भई २४४ भावस्स मणं गहणं वयंति १३२२ पा० बंभम्मि नायज्झयणेसु १२२७ भावाणुगासाणुगए य जीवे १३२६ बायरा जे उ पजत्ता गहा १५६१ भावाणुरत्तस्स नरस्स एवं १३३१ बायराजे उ पजत्ता दुविहा (द्वि० च०), भावाणुवाए ण परिग्गहेण १३२७ ___ सण्डा (तृ० च) १५२३ भावे अतित्ते य परिग्गहम्मि १३२८ बायराजे उ पजत्ता दुविहा (द्वि० च०), भावे विरत्तो मणुओ विसोगो १३३३ साहरण (तृ० च०) १५४५ भावेसु जो गेहिमुवेइ तिव्वं १३२३ बायरा जे उपजत्तापंचहा (द्वि० च०), भिक्खालसिए एगे १०५७ उक्कलिया (तृ० च०) १५७० भिक्खियव्वं, न केयव्वं १४४६ बायरा जे उ पज्जत्ता पंचहा (द्वि० च०), भीया य सा तहिं द8 ८२२ सुद्धोदए (तृ. च०) १५३७ भुओरगपरिसप्पा य १६३३ बारसहिं जोयणेहिं १५०९ भुत्ता रसा भोइ ! जहाति णे वओ ४७३ बारसंगविऊ बुद्धे भुंज माणुस्सए भोए ६४८ बारसेव उ वासाई १७०३ भूयत्थेणाहिगया १०८१ बालमरणाणि बहुसो भोगामिसदोसविसण्णे २१३ बालस्स पस्स बालतं २०६ भोगे भोच्चा वमित्ता य ४८५ १७१३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001026
Book TitleDasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Original Sutra AuthorShayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar
AuthorPunyavijay, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1977
Total Pages759
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_aavashyak, agam_dashvaikalik, & agam_uttaradhyayan
File Size11 MB
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