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________________ २२ ७४ ४६३ ३६२ पढमं परिसिटुं सुत्तादि सुत्तंको । सुत्तादि कोहो य माणो य अणिग्गहीया ४२७ जया जीवमजीवे य खवेत्ता पुव्वकम्माई ३१ जया जोगे निलंभित्ता खवेत्तु पुवकम्माणि ३१ पा० जया धुणइ कम्मरयं खवेंति अप्पाणममोहदंसिणो जया निविदए भोए खुहं पिवासं दुस्सेज ४१५ जया पुण्णं च पावं च गहणम्मि न चिठूजा ३९९ पा० जया मुंडे भवित्ताणं गहणेसु न चिठूजा ३९९ [जया य कुकुडुंबस्स] पृ० ७६ प्रक्षिप्ता गाथा गंभीरं झुसिरं चेव पृ० २८ टि०२ जया य चयई धम्म ५४३ गंभीरविजया एए ३१८ जया य थेरओ होइ ५४८ गिहिणो वेयावडियं जा य जया य पूइमो होइ ५४६ " , न कुजा जया य माणिमो होइ गुणेहिं साहू, अगुणेहऽसाहू ५०२ जया य वंदिमो होइ गुरुमिह सययं पडियरिय मुणी ५०६ जया लोगमलोगं च गुठ्विणीए उवन्नत्थं १३६ जया संवरमुक्कट्ठ गुठ्विणीयमुवण्णत्थं १३६ पा० जया सव्वत्तगं नाणं गेरुयगतेण हत्थेण १२५ जरा जाव न पीलेइ ४२३ गेरुय वण्णिय सेडिय पृ० २२ टि. १५ जस्संतिए धम्मपयाई सिक्खे गोयरग्गपविट्ठस्स ३१९ जस्सेरिसा जोग जिइंदियस्स ५७४ गोयरग्गपविट्ठो उ न २२१ जस्सेवमप्पा उ हवेज निच्छिओ ५५८ १०१ जहा कुक्कुडपोयस्स ४४१ चउण्हं खलु भासाणं जहा दुमस्स पुप्फे * चउव्विहा खलु आयारसमाही ५१७ जहा निसंते तवणऽचिमाली * चउम्विहा खलु तवसमाही ५१५ जहा ससी कोमुइजोगजुत्ते ४६६ * चउन्विहा खलु विणयसमाही ५११ जहाऽऽहियग्गी जलणं नमसे ४६२ * चउव्विहा खलु सुयसमाही जं जाणेज चिराधोयं चत्तारि वमे सया कसाए जं पि वत्थं व पायं वा तं पि २८२ चित्तभित्तिं न निज्झाए ४४२ ३०१ चित्तमंतमचित्तं वा २७६ जं भवे भत्त-पाणं तु चूलियं तु पवक्खामि ५६० जाइं चत्तारिऽभोजाई जइ तं काहिसि भावं १४ जाइमंता इमे रुक्खा जत्थ पुप्फाइं बीयाई १०३ जाई मरणाओ मुच्चइ ५२० जत्थेव पासे कइ दुप्पउत्तं जाए सद्धाए निक्खंतो जयं चरे जयं चिट्ठे जाणंतु ता इमे समणा जया ओहाविओ होइ ५४४ जायतेयं न इच्छंति २९५ जया कम्मं खवित्ताणं जा य सच्चा अवत्तव्वा ३३३ जया गई बहुविहं जावंति लोए पाणा २७२ जया चयइ संजोगं ७२ | जाव जरा न पीलेइ ४२३ पा० ,वच ३३२ २ ५१३ १८९ "" " ,,, ,, न ते १४१ ३६२ ४४८ २४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001026
Book TitleDasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Original Sutra AuthorShayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar
AuthorPunyavijay, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1977
Total Pages759
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_aavashyak, agam_dashvaikalik, & agam_uttaradhyayan
File Size11 MB
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