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उत्तरऽज्झयणाणि
३१७. अरई गंडं विसूइया आयंका विविहा फुसंति ते । विहेडइ विद्धंसइ ते सरीरयं समयं गोयम ! मा पमायए ॥ २७ ॥ ३१८. वोच्छिंद सिणेहमप्पणी कुमुयं सारइयं व पाणियं ।
से सव्वसिणेहवज्जिए समयं गोयम ! मा पमायए ॥ २८ ॥ ३१९. चेच्चा धणं च भारियं पव्वइओ हिं सि अणगारियं । मा वंतं पुणो वि ऑविए समयं गोयम ! मा पमायए ॥ २९ ॥ ३२०. अँवइज्झिय मित्त- बंधवं विउलं चेव धणोहसंचयं ।
मातंबितियं गवेस समयं गोयम ! मा पमायए ॥ ३० ॥ ३२१. न हुँ जिणे अज्ज दी सई बहुमए दीसेंइ मग्गदेसिए ।
संपइ नेआउए पहे समयं गोयम ! मा पमायए ॥ ३१ ॥ ३२२. अवसोहिय कॅटंगापहं ओइण्णो सि पहं महालयं ।
गच्छसि मग्गं विसोहिया समयं गोयम ! मा पमायए ॥ ३२ ॥ ३२३. अबले जह भारवहए मा मग्गे विसमेऽवगाहिया ।
पच्छा पच्छाणुतावए समयं गोयम ! मा पमायए ॥ ३३ ॥ ३२४. तिणो हु सि अन्नवं महं किं पुण चिट्ठसि तीरमागओ ? । अभितुर पारं गमित्त समयं गोयम ! मा पमायए || ३४ ॥ ३२५. अकलेवरसेणिमुँस्सिया सिद्धिं गोयम ! लोयं गच्छसि खेमं च सिवं अणुत्तरं समयं गोयम ! मा पमायए ॥ ३५ ॥
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१. विवडइ ला १ पु० ह० । विविड ला २ | विहडइति विपतति ” इति नेटी० ॥ २. सव्व ं चू० ॥ ३. “ण इति वाक्यालङ्कारे" इति पाटी० । णं शा० नेटी० च ॥ ४. हु चू० ॥ ५. " आविए त्ति आपिब" इति पाटी० । आवियए ह० । भाइए ला १ ला २ पु० ने०, 66 आइए त्ति आपिब ” इति नेटी० ॥ ६. अवउज्झिय सं १ सं २ विना, नवरं ह० प्रतौ भवयज्झिय इत्यस्ति ॥ ७. हु अज्ज जिणे य दि° ६० ॥ ८. दिस्सई सं १ चू० विना ॥ ९. दिस्सइ सं १ चू० विना ॥ १०. “ कंटगापहं ति अकारोऽलाक्षणिकः,... कण्टकपथस्तम्” इति पाटी० नेटी० ॥ ११. वह सं १ ॥ १२. विगा सं२सं० ॥ १३. 'णिभूसिया चू० पा०, " उस्सियत्ति उत्सृताम्, यद्वा उस्सिय त्ति उच्छ्रित्य " इति पाटी० ॥ १४. गच्छसि सं १ । गमिष्यसि " इति पाटी० । “ गच्छसि सुव्यत्ययाद् गमिष्यसि ” इति नेटी० ॥
" गच्छसि त्ति
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