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५७५] बिइया चूलिया चूला-बारसमं अज्झयणं ५७५. अप्पा खलु सययं रक्खियव्वो सव्विदिएहिं सुसमाहिएहिं । अरक्खिओ जॉइपहं उवेई सुरक्खिओ सव्वदुहाण मुच्चइ ॥१६॥
त्ति बेमि ॥
॥ बीया [चूलिया] चूला समत्ता ॥ [॥ बारसमं अज्झयणं समत्तं ॥ १२॥]
॥ दसवेयालियं समत्तं ॥
१. अप्पा हु खलु खं १-४ शु० ॥ २. °हिएण खं ३ सुमति०, तथाच श्रीसुमतिसाधुकृतटीका"सुसमाहितेन-निवृत्तविषयव्यापारेण" ॥ ३. जातिवधं अचू० । जाइवहं वृ०। जातिपधं अचूपा० । जाइपहं वृपा० ॥ ५. मि ॥ दसवेयालियसुयखंधो समत्तो ॥ छ ॥ खं २ । °मि ॥ बीया चूलिया समत्ता ॥ छ ॥ समत्तं दसवैकालिकं ॥ छ ॥ खं ४ ॥ °मि ॥ सेजंभवं गणहरं जिणपडिमादसणेण पडिबुद्धं । मणगपियरं [? च] दसकालियस्स निजूहगं वंदे ॥ मणगं पडुच्च सेजंभवेण निज्जूहिया दसऽज्झयणा । वेयालियाय ठविया तम्हा दसवेया(? दसया)लियं नाम ॥ दसकालियं सम्मत्तं ॥ छ ॥ खं ३ ॥ ५. °त्ता ॥ मणगं पडुच्च सेजंभवेण निज्जूहिया दसऽज्झयणा। वेयालियाए ठवियं तम्हा दसवेया(?दसया)लियं नाम ॥ दसवेयालियं समत्तं ॥ मंगलं महाश्रीः ॥छ ॥ खं १॥
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