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वियाहपण्णत्तिसुत्तं [स० ३० उ०१-२ १०४. सम्मदिट्ठी जहा अलेस्सा। १०५. मिच्छद्दिट्टी जहा कण्हपक्खिया। १०६. सम्मामिच्छट्ठिी दोसु वि समोसरणेसु जहा अलेस्सा। १०७. नाणी जाव केवलनाणी भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया। १०८. अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया। १०९. सण्णासु चउसु वि जहा सलेस्सा। ११०. नोसण्णोवउत्ता जहा सम्मदिट्ठी। १११. सवेयगा जाव नपुंसगवेयगा जहा सलेस्सा। ११२. अवेयगा जहा सम्मद्दिट्ठी। ११३. सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा। ११४. अकसायी जहा सम्मद्दिट्ठी। ११५. सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा। ११६. अजोगी जहा सम्मपिट्ठी। ११७. सागारोवउत्ता अंणागारोवउत्ता जहा सलेस्सा। ११८. एवं नेरतिया वि भाणियव्वा, नवरं नायव्वं जं अत्थि। ११९. एवं असुरकुमारा वि जाव थणियकुमारा।
१२०. पुढविकाइया सव्वट्ठाणेसु वि मज्झिल्लेसु दोसु वि समोसरणेसु भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि।
१२१. एवं जाव वणस्सतिकाइय ति। २० १२२. बेइंदिय-तेइंदिय-चतुरिंदिया एवं चेव, नवरं सम्मत्ते, ओहिए
नाणे, आभिणिबोहियनाणे, सुयनाणे, एएसु चेव दोसु मज्झिमेसु समोसरणेसु भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया, सेसं तं चेव।
१. भणगा' जे० ज०॥
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