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________________ सु० ४ ] चउपपलियखंधम्मि वण्णाइपरूवणं ४. चउपएसिए णं भंते! खंधे कतिवण्णे० ? जहा अट्ठारसमसए (स० ८ उ० ६ सु० ९) जाव सिय चउफासे पन्नत्ते । जति एगवण्णे - सिय कालए य जाव सुक्लिए ५ । जति दुवण्णे - सिय कालए य, नीलए १; सिय काल य, नीलगाय २; सिए कालगा य, नीलए य ३ सिय कालगा य, नीलगा य ४, सिय कालए य, लोहियए य, एत्थ वि चत्तारि भंगा ४ सिय कालए ५ य, हालिए य ४, सिय कालए य, सुक्किलए य ४, सिय नीलए य, लोहियए य ४; सिय नीलए य, हालिए य ४, सिय नीलए य, सुक्किलए य ४, सिय लोहियए य, हालिए य ४, सिय लोहियए य, सुक्किलए य ४; सिय हालिइए य, सुक्कल य ४; एवं एए दस दुयासंजोगा, भंगा पुण चत्तालीस ४० । जति तिवण्णे - सिय कालए य, नीलए य, लोहियए य १; सिय कालए य, नीलए य, १० लोहियगा य २; सिय कालए य, नीलगा य लोहियए य, ३; सिय कालगा य, नीलए य, लोहियए य ४; एए भंगा ४ । एवं काल-नील- हालिद्दएहिं भंगा ४; काल-नील-सुक्किल० ४, काल-लोहिय - हालि६० ४; काल-लोहिय- सुक्किल० ४; काल-हालिद्द-सुक्किल० ४; नील-लोहिय- हालिद्दगाणं भंगा ४; नील-लोहिय-सुक्किल० ४; नील - हालिद्द - सुक्किल० ४; लोहिय- हालिद्द - सुक्किलगाणं भंगा ४, एवं एए दस १५ तियगसंजोगा, एक्वेक्वे संजोए चत्तारि भंगा, सव्वेते चत्तालीसं भंगा ४० । जति चडवण्णे - सिय कालए य, नीलए य, लोहियए य, हालिए य १, सिय कालए य, नीलए य, लोहियए य, सुक्किलए य २, सिय कालए य, नीलए य, हालिइए य, सुक्किलए य ३; सिय कालए य, लोहियए य, हालिदए य, सुक्किलए य ४; सिय नीलए य, लोहियए य, हालिइए य, सुक्लिए यः एवमेते चउक्कगसंजोए २० पंच भंगा। एए सव्वे नउइभंगा । जदि एगगंधे-- सिय सुब्भिगंधे १, सिय दुब्भिगंधे २ । जदि दुगंधे -- सिय सुब्भिगंधे य, सिय दुब्भिगंधे य । रसा जहा वण्णा । जइ दुफासे-जहेव परमाणुपोग्गले ४ । जइ तिफासे - सव्वे सीते, देसे निद्धे, २५ देसे लक्खे १; सव्वे सीए, देसे निद्धे, देसा लुक्खा २; सव्वे सीए, देसा निद्धा, देसे लुक्खे ३; सव्वे सीए, देसा निद्धा, देसा लुक्खा ४ । सव्वे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे, एवं भंगा ४ । सव्वे निद्धे, देसे सीए, देसे उसिने १. सुरभिगंधे सिय दुरभिगंधे ला ४ ॥ २. उसुणे जं० ॥ Jain Education International ८६१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001019
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1978
Total Pages679
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_bhagwati
File Size11 MB
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