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________________ ४३० वियाहपण्णत्तिसुत्तं [स०९ उ० ३२ अहवा १-१-१-१-१ एगे रयण०, एगे सक्कर०, एगे वालुय०, एगे पंक० एगे धूमप्पभाए होज्जा १ । अहवा एगे रयण, एगे सक्कर०, एगे वालुय०, एगे पंक०, एगे तमाए होजा २। अहवा एगे रयण०, जाव एगे पंक० एगे अहेसत्तमाए होजा ३। अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए होज्जा ४ । अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, एगे वालुय०, एगे धूमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा ५। अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, एगे वालुय०, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होजा ६। अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, एगे पंक०, एगे धूम०, एगे तमाए होजा ७। अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, एगे पंक०, एगे धूम०, एगे अहेसत्तमाए होजा ८ । अहवा १. एगे रयण०, एगे सक्कर०, एगे पंक०, एगे तम०, एगे अहेसत्तमाए होजा ९। अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, एगे धूम०, एगे तम०, एगे अहेसत्तमाए होजा १० । अहवा एगे रयण०, एगे वालुय०, एगे पंक०, एगे धूम०, एगे तमाए होजा ११ । अहवा एगे रयण०, एगे वालुय०, एगे पंक०, एगे धूम०, एगे अहे सत्तमाए होज्जा १२ । अहवा एगे रयण०, एगे वालुय०, एगे पंक०, एगे तम०, १५ एगे अहेसत्तमाए होजा १३ । अहवा एगे रयण०, एगे वालुय०, एगे धूम०, एगे तम०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा १४। अहवा एगे रयण०, एगे पंक०, जाव एगे अहेसत्तमाए होजा १५। अहवा एगे सक्कर० एगे वालुय० जाव एगे तमाए होजा १६। अहवा एगे सक्कर० एगे वालुय०, एगे पंक०, एगे धूम, एगे अहेसत्तमाए होज्जा १७। अहवा एगे सक्कर०, जाव एगे २० पंक०, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होजा १८। अहवा एगे सकर०, एगे वालुय०, एगे धूम०, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होजा १९। अहवा एगे सकर०, एगे पंक०, जाव एगे अहेसत्तमाए होजा २० । अहवा एगे वालुय० जाव एगे अहेसत्तमाए होजा २१ । ४६२' । २१. छब्भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणए णं पविसमाणा किं रयणप्पभाए १. होजा०१ पुच्छा। गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होजा ७। १. एवं पञ्च नैरथिकान् प्रतीत्यात्र एकसांयोगिकाः ७ भङ्गाः, द्विकसांयोगिकाः ८४ भङ्गाः, त्रिकसांयोगिकाः २१० भङ्गाः, चतुष्कसायोगिकाः १४० भङ्गाः, पञ्चकसांयोगिकाश्च २१ भङ्गाः । इति सर्वमिलने ४६२ भङ्गाः॥ २. एवमेकसंयोगे ७ भङ्गा:॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001018
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1974
Total Pages548
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_bhagwati
File Size9 MB
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