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________________ विवाहपण्णन्तिसुतं [स०९ उ० ३२ । अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा १ । एवं जाव अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, तिण्णि असत्तमाए होजा ५ । अहवा एगे रयण ०, दो सक्कर०, दो वालुयप्पभाए होज्जा १- ६ । एवं जाव अहवा एगे रयण०, दो सक्कर०, दो अहेसत्तमाए होजा ५-१० | ५ रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, दो वालुयप्पभाए होज्जा १ - ११ अहवा दो रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए, दो अहेसत्तमाए होज्जा अहवा एगे रयण०, तिण्णि सक्कर०, एगे वालुयप्पभाए होज्जा १ - १६ । एवं जाव अहवा एगे रयण०, तिण्णि सक्कर०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा ५-२० । अहवा दो रयण०, दो सक्कर०, एगे वालुयप्पभाए होजा १ - २१ । एवं जाव १० दो रयण०, दो सक्कर, एगे अहेसत्तमाए ५ - २५ | अहवा तिण्णि रयण०, एगे सक्कर०, एगे वालुयप्पभाए होजा १ - २६ । एवं जाव अहवा तिण्णि रयण०, एगे सक्कर, एगे असत्तमाए होज्जा ५-३० | अहवा एगे रयण०, एगे वालुय०, तिण्णि पंकप्पभाए होज्जा १-३१ एवं एएणं कमेणं जहा चउण्हं तियसंजोगो भणितो तहा पंचण्ह वि तियसंजोगो भाणियव्वो; नवरं १५ तत्थ एगो संचारिज्जइ, इह दोण्णि, सेसं तं चेव, जाव अहवा तिण्णि धूमप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा २१० ' । ४२८ अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, एगे वालुय०, दो पंकप्पभाए होज्जा १ । एवं जाव अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, एगे वालुय० दो अहेसत्तमाए होज्जा ४ | अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, दो वालुय०, एगे २० पंकप्पभाए होज्जा १-५ । एवं जाव असत्तमाए ४-८ | अहवा एगे रयण०, दो सक्करप्पभाए, एगे वालुय०, एगे पंकप्पभाए होज्जा १ - ९ । एवं जाव अहवा एगे रयण०, दो सक्कर, एगे वालुय०, एगे असत्तमाए होज्जा ४-१२। अहवा दो रयण०, एगे सक्कर०, एगे वालुय०, एगे पंकप्पभाए होज्जा १-१३ । एवं जाव अहवा दो रयण०, एगे सक्कर०, एगे वालुय०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा ४-१६ | अहवा एगे रयण०, एगे सक्कर०, एगे पंक०, दो धूमप्पभाए होज्जा १ - १७ । एवं जहा चउण्डं चउक्कसंजोगो भणिओ तहा पंचण्ह वि चउक्कसंजोगो भाणियव्वो, नवरं अब्भहियं एगो संचारेयव्वो, एवं जाव २५ अहवा दो एवं जाव ५-१५ । १. त्रिकसंयोगे रत्नप्रभया ९०, शर्कराप्रभया ६०, वालुकाप्रभया ३६, पङ्कप्रभया १८, धूमप्रभया च ६, भङ्गाः; सर्वमिलने त्रिकसंयोगे २१० भङ्गाः ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001018
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1974
Total Pages548
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_bhagwati
File Size9 MB
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