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सु० २८-२९, १–८] कालादेसेणं जीवाईसु सपदेसाइषत्तव्वयादि
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२. [१] नेरतिए णं भंते! कालादेसेणं किं सपदेसे, अपदेसे ? गोयमा ! सिय सपदेसे, सिय अपदेसे ।
[२] एवं जावं सिद्धे ।
३. जीवा णं भंते! कालादेसेणं किं सपदेसा, अपदेसा १ गोयमा ! नियमासपदेसा ।
४. [१] नेरइया णं भंते! कालादेसेणं किं सपदेसा, अपदेसा ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्ज सपदेसा, अहवा सपदेसा य अपदेसे य, अहवा सपदेसा य अपदेसा य ।
[२] एवं जीव थणियकुमारा ।
५. [१] पुढविकाइया णं भंते! किं सपदेसा, अपदेसा ? गोयमा ! १० सपदेसा वि, अपदेसा वि ।
[२] एवं जीव वैणप्फतिकाइया ।
६. सेसा जहा नेरइया तहा जाव सिद्धा ।
[सु. ७-१९. आहारगाइ-भवसिद्धियाइ-सण्णिआइ-सले साइ- सम्मद्दिद्विआइ-संजताइ सकसायाइ - णाणाइ- सजोगिआइ-सागारोवउत्ताइसवे गाइ- ससरीरिआइ-पत्त याईसु सपदेस - अपदेसवत्त व्यया ]
७. [१] आहारगाणं जीवेगेंदियर्वज्जो तियभंगो ।
[२] अणाहारगाणं जीवेगिंदियवज्जा छन्मंगा एवं भाणियव्वा - सपदेसा वा, अपएसा वा, अहवा सपदेसे य अपदे से य, अहवा सपदेसे य अपदेसा य, अहवा सपदेसा य अपदेसे य, अहवा सपदेसा य अपदेसा य | सिद्धेहिं तियभंगो ।
८. [१] भवसिद्धीया अभवसिद्धीया जहा ओहिया । [२] नोभवसिद्धियनोअभवसिद्धिया जीव - सिद्धेहिं तियभंगो ।
१. ' जाव' पदेन भवनपत्यादि - वैमानिकदेवपर्यन्ता दण्डका वाच्याः ॥ २. 'जाव ' पदेन असुरकुमारादयो भवनवासिनो ग्राह्याः ॥ ३. 'जाव 'पदेन अप्कायादिका ग्राह्याः ॥ ४. वणस्सइका ला १॥ ५. 'जाव 'पदेन वैमानिकपर्यन्ता दण्डका ग्राह्याः ॥ ६. ' वज्जा तियभंगा ला १ ॥
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