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________________ १७. व्याख्यानाचार्यं १८. आचार्य समन्तभद्र १६. सूत्राचार्यं २०. सेचीय व्याख्यानाचार्य वीरसेनाचार्य की व्याख्यान-पद्धति वीरसेनाचार्य की प्रामाणिकता सूत्र - प्रतिष्ठा (पुनरुक्ति दोष का निराकरण ) सूत्र - सूचित विषय की अप्ररूपणा सूत्र - विरुद्ध व्याख्यान का निषेध ६६८ ७०० ७०३ ७०७ ७०६ परस्पर विरुद्ध सूत्रों के सद्भाव में धदलाकार का दृष्टिकोण सूत्र के अभाव में आचार्य - परम्परागत उपदेश व गुरु के उपदेश को महत्त्व ७१७ आचार्य-परम्परागत उपदेश और गुरूपदेश (तालिका) ७२२ ७२३ सूत्राभाव दक्षिण-उत्तर प्रतिपत्ति व पवाइज्जंत अपवाइज्जंत उपदेश स्वतन्त्र अभिप्राय देशामर्शक सूत्र आदि सूत्र असूत्र-विचार उपदेश के अभाव में प्रसंगप्राप्त विषय की अप्ररूपणा उपदेश प्राप्त कर जान लेने की प्रेरणा अवतरण वाक्य अनुक्रमणिका परिशिष्ट (४) कौन जीव किस गति से किस गति में जाता-आता है। (५) ज्ञानादिगुणोत्पादन तालिका (६) बन्धोदय तालिका (७) कर्मबन्धकप्रत्यय तालिका Jain Education International परिशिष्ट - २ मूल षट्खण्डागम के अन्तर्गत गाथासूत्र ६८७ ६८८ ६६६ ६६७ परिशिष्ट १ ( विषयपरिचायक तालिका) (१) कर्मप्रकृतियाँ और उनकी उत्कृष्ट जघन्य स्थिति आदि ७७१ (२) नरकादि गतियों में सम्यक्त्वोत्पत्ति के बाह्य कारण ७७६ (३) चारों गतियों में गुणस्थान विशेष से सम्बन्धित प्रवेश और निर्गमन ७७७ ७७८ For Private & Personal Use Only ७२४ ७२७ ७३४ ७३७ ७४० ७४१ ७४३-७७० ७८० ७८ १ ७८४ ७८५ विषयानुक्रमणिका / ५१ www.jainelibrary.org
SR No.001016
Book TitleShatkhandagama Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages974
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size18 MB
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