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मूलग्रन्थगत विषय का परिचय प्रथम खण्ड : जीवस्थान
१. सत्प्ररूपणा २. द्रव्यप्रमाणानुगम ३. क्षेत्रानुगम ४. स्पर्शनानुगम ५. कालानुगम ६. अन्तरानुगम ७. भावानुगम ८. अल्पबहुत्वानुगम जीवस्थान-चूलिका १. प्रकृतिसमुत्कीर्तन २. स्थानसमुत्कीर्तन ३. प्रथम दण्डक ४. द्वितीय दण्डक ५. तृतीय दण्डक ६. उत्कृष्ट स्थिति ७. जघन्य स्थिति ८. सम्यक्त्वोत्पत्ति
है. गति-आगति द्वितीय खण्ड : क्षुद्रकबन्ध बन्धकसत्त्व
१. एक जीव की अपेक्षा स्वामित्व २. एक जीव की अपेक्षा कालानुगम ३. एक जीव की अपेक्षा अन्तरानुगम ४. नाना जीवों को अपेक्षा भंगविचय ५. द्रव्यप्रमाणानुम ६. क्षेत्रानुगम ७. स्पर्शनानुगम ८. नाना जीवों की अपेक्षा कालानुगम ६. नाना जीवों की अपेक्षा भंगविचय १०. भागाभागानुगम
११. अल्पबहुत्वानुगम महादण्डक (चूलिका) तृतीय खण्ड : बन्धस्वामित्वविचय
ओघ प्ररूपणा ४० / षट्खण्डागम-परिशीलन
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