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________________ પાક્ષિકાદિ-અતિચાર૦૫૦૭ आठमे अनर्थदंड विरमण व्रते पांच अतिचार-कंदप्पे कुक्कुइए० ॥८॥ कंदर्प-लगे विट-चेष्टा, हास्य, खेल, [केलि] कुतूहल कीधां, पुरुष स्त्रीना हाव-भाव, रूप, शृंगार, विषय-रस वखाण्या, राजकथा, भक्त-कथा, देश-कथा, स्त्री-कथा कीधी, पराई तांत कीधी, तथा पैशुन्यपणुं कीधुं, आर्त-रौद्र ध्यान ध्यायां । खांडां, कटार, कोश, कुहाडा, रथ, ऊखल, मुशल अग्नि घरंटी, निशाह (सार), दातरडां प्रमुख अधिकरण मेली-दाक्षिण्यलगे माग्यां आप्यां, पापोपदेश दीधो, अष्टमी, चतुर्दशीए खांडवादलवा-तणा नियम भांग्या, मुखरपणालगे असंबद्ध वाक्य बोल्या, प्रमादाचरण सेव्यां । ___ अंघोले, न्हाणे, दातणे, पग-धोअणे, खेल, पाणी, तेल छांट्यां, झीलणे झील्या, जुवटे रम्या, हिंचोळे हिंच्या, नाटकप्रेक्षणक जोयां, कण, कुवस्तु, ढोर लेवराव्यां कर्कश वचन बोल्या, आक्रोश कीधा, अबोला लीधा, करकडा मोड्या, मच्छर धर्यो, संभेडा लगाड्या, शाप दीधा । भेंसा, सांढ, हुडु, कूकडा, श्वानादिक झूझार्या, झूझता जोया, खादीलगे अदेखाइ चिंतवी, माटी, मीठं, कण, कपाशिया, काजविण चाप्या, ते पर बेठा, आली वनस्पति खुंदी, सूई शस्त्रादिक नीपजाव्या, घणी निद्रा कीधी, राग द्वेष लगे एकने ऋद्धि-परिवार वांछी, एकने मृत्युहानि वांछी । आठमे अनर्थदण्ड-विरमण व्रत-विषइओ अनेरो जे कोई अतिचार पक्ष-दिवसमांहि० ॥८॥ नवमे सामायिक व्रते पांच अतिचार-तिविहे दुप्पणिहाणे ॥९॥ सामायिक लीधे मने आहट्ट-दोहट्ट चिंतव्युं, सावध वचन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001009
Book TitleShraddha Pratikramana Sutra Prabodh Tika 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrankarvijay, Kalyanprabhavijay, Amrutlal Kalidas Doshi
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year2000
Total Pages828
LanguageGujarati, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Worship, & Spiritual
File Size11 MB
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