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________________ SHÄNTI KALASH दारोग्य-श्री-धृति-मति-करी क्लेश - विध्वंस हेतुः. भो भो भव्य-लोका ! इह हि भरतै- रावत - विदेह-संभवानां, समस्त-तीर्थकृतां, जन्म न्यासन - प्रकम्पा - नन्तर -मवधिना विज्ञाय, सौधर्मा-धिपतिः सुघोषा - घण्टा चालना - नन्तरं, सकल-सुरासुरेन्द्रैः सह समागत्य, सविनय - मर्हद् - भट्टारकं गृहीत्वा, गत्वा कनकाद्रिशृङ्गे, विहित-जन्माभिषेकः शान्ति-मुद्द्द्घोषयति यथा, ततोहं मिति कृत्वा, महाजनो येन गतः स पन्था, इति भव्यजनैः सह समेत्य, स्नात्र-पीठे स्नात्रं विधाय, शान्ति-मुद्द्द्घोषयामि, कर्णं दत्वा तत् पूजा-यात्रा-स्नात्रादि- महोत्सवा - नन्तरमिति .2 निशम्यतां निशम्यतां, स्वाहा.. ॐ पुण्याहं पुण्याहं, प्रीयन्तां प्रीयन्तां, भगवन्तोर्हन्तः सर्वज्ञाः सर्व-दर्शिन-स्त्रिलोक-नाथा-स्त्रिलोक-महिता-स्त्रिलोकक-पूज्या 38 .1. कृत्वा स्त्रिलोकेश्वरा-स्त्रिलोको-द्द्योत-कराः. ॐ ऋषभ-अजित-संभव-अभिनन्दन - सुमति-पद्मप्रभसुपार्श्व-चन्द्रप्रभ-सुविधि-शीतल-श्रेयांस- वासुपूज्य- विमलअनन्त-धर्म-शान्ति कुन्थु-अर-मल्लि - मुनिसुव्रत JAIN PUJA BOOK कृतानुकार .3.
SR No.000247
Book Title$JES 933 Ashta Prakari Puja - 14 or 16 Dreams and Shanti Kalash Rituals
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJAINA Education Committee
PublisherJAINA Education Committee
Publication Year2014
Total Pages48
LanguageEnglish
ClassificationBook_English, Jaina_Education, 0_Jaina_education, & JAINA Books
File Size2 MB
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