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________________ करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा (३) हड्डियों का पाउडर। यह आहार मात्र पशुओं को खिलाया जाता है जिससे सरकारी कर्मचारी उसके नियमों पर विशेष ध्यान नहीं देते। मात्र उस पर घटक द्रव्यों का लेबल बराबर है या नहीं उसकी जांस करते हैं। इस पशु आहार में जन्तुनाशक पेस्टीसाइड्स और अन्य जहरी पदार्थों की पूरी जांस नहीं होती या बिलकुल नहीं होती। रूपान्तरित पदार्थ और उनका उपयोगः रूपान्तरकर्ता कारखानों में से ये रूपान्तरित पदार्थ समग्र अमरिका में डेयरी उद्योग, पॉलट्री फार्म, पशु आहार उत्पादक, सुअरकेन्द्र, मत्स्य पालन केन्द्र एवं पालतु पशुओं के आहार उत्पादकों को बेचा जाता है। ये रूपान्तरकर्ता कारखाने अलग-२ प्रकार के होते हैं। कुछ कारखाने पशु आहार के लिए रिसाइकल्ड माँस उत्पन्न करते हैं तो कुछ माँस के उप उत्पादन बनाते हैं। कुछ पॉल्ट्री आहार बनाते हैं, तदुपरान्त कुछ मत्स्याहार, मछली का तेल, पीला ग्रीस, पशु चर्बी, गाय की चर्बी और मुरगी की चर्बी बनाते है । सन् १९९१ USDA क रिपोर्ट में बताया गया है कि १९८३ में इन कारखानों में लगभग ७९ करोड रतल रुपान्तरित माँस, हड्डी का पाउडर, रक्त का पाउडर एवं पंखों का भोजन उत्पादित किया था जिसमें - • १२% डेयरी के गाय, भैंस और पशुचर्बी के आहार के रूप में • ३४% पालतु प्राणियों के आहार के रूप में • ३४% पॉलट्री आहार के रूप में • २०% सुअर के आहार के रूप में उपयोग में लिया गया था। Scientific American में उल्लेख है कि १९८७ से व्यापारिक डेयरी आहार में प्राणिज प्रोटीन के उपयोग की वृद्धि अधिक मात्रा में हुई है। पूरे अमरिका में कम से कम २२५० ऐसे रूपान्तरकारी कारखाने चल रहे हैं। अनेक आधुनिक कारखाने अति विशाल और स्वयं संचालित होते हैं, नेशनल रेंडर्स एसोसियेशन इन एलेक्झांड्रिया, वर्जिनिया के व्यवस्था नियामक, ब्रश ब्लेन्टन कहते हैं कि इस उद्योग में प्रति वर्ष २.४ बिलियन डॉलर का व्यापार होता है। विज्ञानिक मातने हैं कि जब पशुओं को रोगी Scrapie स्क्रेप भेड़ों की रीढ़ की हड्डी या मस्तिष्क में से निर्मित आहार दिया जाता है तब उस पशु को Mad Cow Disease नामक रोग हो जाता है। विज्ञानिक मानते हैं कि ऐसे पागलपन से पिडित गाय-भैंस या पशुओं द्वारा प्राप्त डेयरी उत्पातन दूध, 32 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.000225
Book Title$JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
PublisherJAINA Education Committee
Publication Year2006
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jaina_Education, 0_Jaina_education, D000, & D005
File Size657 KB
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