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________________ करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा भी है। सामान्यतः अमरीका की गायों की दैनिक खुराक में अनाज, सोयाबीन एवं अन्य धान्यों के अलावा सूखा रक्त, पिसे हुए पंख, हड्डियों का चूरा, तली हुई चर्बी एवं माँसयुक्त पदार्थ होते हैं। अमेरीका की गायें, सुअर एवं मुर्गियों वास्तव में तो स्वजाति भक्षण अर्थात् वे स्वयं अपनी ही जाति का माँस भक्षण कर रहे हैं। टोपेकामा केन्सास डिपार्टमेन्ट ऑफ एग्रीकल्चर के वैकल्पिक उपयोग के कार्यक्रम के को-ओर्डीनेटर डॉ. रेमन्ड एल. बर्न्स का कथन हैः “मुर्गियों का क्रंदन, चीखें, करूण गुहार के अलावा प्रत्येक वस्तुओं का हम उपभोग कर रहे हैं।" "हम वही हैं जिसका हम भक्षण कर रहे हैं।” इस कथन का नवीन अर्थ यह उद्योग (माँस उद्योग) प्रदान कर रहा है। कत्लखाने में तैयार माँस का, मनुष्य के लिए उपयोग करने के पश्चात् शेष वस्तुएँ (कत्लखाने का कचरा या जूठन) रक्त, चरबी, सींग, पाँव की खुरी, नाखून, खोपडी, आंते एवं होजरी में अपचित वस्तुओं का क्या उपयोग है ? उत्तरः- इनके उपयोग की तो हम कल्पना भी नहीं कर सकते ऐसा इनका उपयोग होता है। चित्रशलाखा (पींछी), फ्लोरमोम, जन न जाये ऐसी दिया सलाई, सेलोफेन, लिनोलियम, सिमेन्ट, फोटो हेतु उपयोग में लिया जाने वाला कागज, पौंधो को नष्ट करने की दवा, जीवनरक्षक औषधि, सौंदर्य प्रसाधन, साबुन, केन्डी, वस्त्र, गद्दी-तकिये, जूते एवं खेल-कूद के साधनों का जिसमें समावेश होता है साथ ही घबराहट उत्पन्न करें ऐसी अनेक वस्तुएँ इस कत्लखाने के कचरे में से बनती हैं। ब्रिटेन में नवम्बर में जब पागर गायों का रोग फैल गया था तब भयानक भय पैदा हो गया था । वास्तव में कयामत के दिन की कल्पना ही अत्यंत भयानक है। अमरीकन मीट इन्स्टीट्युट हेतु संयोजित उत्पादकों के व्यापारी मंडल के उपप्रमुख डॉ. जेरी ब्रीटर हँसते-हँसते कहते हैं कि गायों और सूअरों को जीवन व्यवहार में से पृथक कर दो तो जीवन ही बदल जाये। यद्यपि अमरीका में पागल गायों का रोग नहीं हुआ है पहरन्तु अन्य विषय चिंताजनक है । जेक-इन धी बोक्ष नामक रेस्टोरन्ट में कच्चे-पक्के तले हुए हेम्बर्गर्स (सेन्डवीच की तरह तला हुआ पदार्थ) खाने से १९९३ में तीन बच्चे मर गए थे। वे इ-कोली बेक्टेरिया एवं सालमोलियानो, छूत, जो प्रति वर्ष हजारों अमरीकनों को लगती है, ये दो स्थाई समस्यायें हैं - जिस खतरे को माँस उद्योग के मालिक दबा रहे हैं। उसके प्रभाव को नष्ट करने के लिए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.000225
Book Title$JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
PublisherJAINA Education Committee
Publication Year2006
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jaina_Education, 0_Jaina_education, D000, & D005
File Size657 KB
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