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सं. १७३०नुं अमदावादनी नानी दोशीहटीमांनी पंचहटी मध्येनुं हाटग्रहणक (गिरो) खतपत्र
रसीला कडीआ
अमदावादनी हाजापटेलनी पोळमां आवेला संवेगीना उपाश्रयना ज्ञानभण्डारमाथी मने वांचवा माटे जे केटलाक दस्तावेजोनी झेरोक्ष मळी छे ते मांहेनो आ ओक दस्तावेज छे. अन्य दस्तावेजो घरना वेचाणना के गिरवे आपवाना छे ज्यारे प्रस्तुत दस्तावेज हाटनु गिरोखत छे. आ तबक्के आ माटे, हुं त्यांना ट्रस्टीओ तथा कर्मचारी गणनो आभार मानुं छु. अन्य दस्तावेजोना अक्षरो आ दस्तावेजनी अपेक्षाओ घणा वधु सुवाच्य छे. अहीं घणे स्थळे अक्षरो उकेलवामां घणी मुश्केली पडी छे.
प्रस्तुत दस्तावेज सं. १७३०, शक संवत १५९५, ई.स. १६७४ना समयनो चैत्र सुद १० अने रविवारना रोज तैयार थयो छे. दस्तावेज कापड पर छे. काळी शाहीनुं लखाण छे. तेनुं माप २३" x ९३" (५७.५ x २४.५ से.मी.) छे. प्रथम लीटीमां साके १५ पछीना अंकोवाळु कापड फाटेतुं छे पण संवतने आधारे ते १५९५ होवानुं निश्चित करी शकाय छे. जमणी बाजु कापडनी धारी फाटेली छे. 'मतु'वाळी बाजु खूब ज जीर्ण छे छतां अक्षरो कपाया नथी. २१मी लीटीमां भगवतीदासना पिताना नामने स्थाने खाली जग्या छे जे पाछळथी पूछीने भरवानुं विचारायुं होय अने रही गयुं होय तेम जणाय छे. ते सिवाय दस्तावेज पूर्ण छे, पण घणो ज जीर्ण, सछिद्र, झांखो अने डाघाडूघीवाळो छे. अक्षरो ओ ज भण्डारना अन्य दस्तावेजनी अपेक्षाओ नाना छे अने ओछा सुवाच्य छे. दस्तावेजमां कुल ३७ पंक्तिओ (मतु अने सही सिवाय)नुं मूळ लखाण छे. अमां दरेकमां शब्दो लगभग ९ थी १२ छे.
दस्तावेजनी भाषा संस्कृत-मिश्रित जूनी गुजराती छे अने लिपि देवनागरी छे. अंको लखाया छे त्यां गुजराती अंको छे. 'मतु' अने 'साक्षी'मां शिरोरेखावाळी गुजराती लिपि प्रयोजाई छे. अ त्रिपांजियो छे. ख अने ष बन्ने वर्णो ख माटे प्रयोजायेला छे. ह्रस्व इ देवनागरीनो छे पण दीर्घ ई माटे हुस्व
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इ ने दीर्घ इकारान्तसूचक मात्रा लगाडेल छे. दा.त. बाइी. 'ल'वर्ण आजनी गुजराती वर्णमाळा जेवो ज छे.
सारांश : वि.सं. १७३०मां दिल्ही (शाहस्यांहानाबाद)ना तख्ते औरंगझेब हतो अने तेना समयमां अमदावाद खातेना जुदाजुदा खाताओना अधिकारीओ तथा नगरशेठना नामोल्लेख होवाथी, ओ समयनी शासनव्यवस्था तथा अधिकारीओ बाबतेनी माहिती सांपडे छे. दस्तावेजनी १ थी १० लीटीओमां दस्तावेजनो समय तथा राज्यव्यवस्था अने अधिकारीओनो विगते उल्लेख छे. प्रस्तुत दस्तावेज ओक हाटने गिरवे मूकवा बाबते छे, तेनी जाणकारी प्राप्त थाय छे. औरंगझेबे पोतार्नु उपनाम (तखल्लुस) महिददीन महिम्मद औरंगझेब बहादुर आलमगीर पादशाह गाजी राखेल हतुं ते विगत पण अहीं सांपडे छे.
पंक्ति ११ अने १२मां गिरवे रखानारी हाट- स्थान दर्शाव्यं छे. त्रिपोलीआना अंदरना भागमां आवेल नानी दोशीहटीमां आवेल पंचहटी विस्तारमां आवेली आ दुकान छे.
'मिराते अहमदी'मां अमदावादना स्थळोना उल्लेखो जोतां, अमां 'त्रिपोलीआ' त्रण दरवाजा माटे वपरातो शब्द जणायो छे. भद्रथी त्रणदरवाजा वच्चेनो विस्तार 'खास बजार' नामो ओळखातो, त्रणदरवाजाथी आजे जे रीचीरोड के गांधीरोड तरीके ओळखाय छे ते बजारनो भाग होवानुं जणाय छे. आजे 'दोशीवाडो' छे. दोशीहटी – नानी के मोटी - नथी. जोके, आजेय दोशीवाडानी बहारनो भाग (फतासापोळ अने ढीकवाचोकीनो ढाळ उतरतां) बजार ज छे, वळी, संवेगीना उपाश्रयमांथी प्राप्त थयेल अन्य दस्तावेजो हाजा पटेलनी पोळना घरोना वेचाणना छे. आ दस्तावेज पण त्यांनो छे अटले आ दुकाननुं स्थळ प्रायः दोशीवाडानी बहारना भागथी हाजा पटेलनी पोळना छेडे आवेल टंकशाळनी पोळ सुधीना विस्तारमां आवेल होवू जोईओ. वळी, दस्तावेजमां खूटनी विगतोमां, हाटनी पछीते, पूर्व दिशाओ मुसलमान दरजीना घर होवानी विगतो छे. आजे पण ते विस्तारमा दरजीनी दुकान तथा घर होवा विशे तो आ लखनार ते विस्तारमा रह्या होईने (५० वर्ष पहेलां), एनी जाणकारी छे. छेल्लां वर्षोमां वस्तीना फेरफारो घणा छे.
पछीनी १३ थी १६ लीटीओमां हाट गिरवे आपनार तथा लेनारनी
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विगतो छ अने ओ विगतो परथी आ एक बेनामी transaction (व्यवहार) थयो होवानुं फलित थाय छे. शाह त्रिलोकशी प्रतापशी दुकान गिरवे आपनार छे. सामे पक्षे बाई पूजी जे ओश वंशना वृद्धि शाखाना वीरजी यादवनी पुत्री छे जेना त्रिलोकशी भरथार छे !
___ घणीवार धंधामां मोटी खोट आवी होय के आवनार होय तेम लागे त्यारे देवामां पोतानी अंगत मूडी बधी जती न रहे ते माटे केटलीक मूडी आजेय पत्नीना नामे थती होय छे जेथी खराब समये ते टांचमां जती बची शके. अहीं पण ओवी कोई शक्यता जणाता थयेलो व्यवहार छे. त्रिलोकशीने पैसानी जरूर छे अने ते पोतानी पत्नी अने ससरा पासेथी गिरवे ले छे. पंक्ति ३५३६मां पैसानी चुकवणी बाबते स्पष्टता करवामां आवी छे के, हाट गिरवे राखनार ओनी पत्नीए ४९८ रू. सुखडी रूपे आवेल पोतानी अंगत मूडी नाणांमांथी = मुहुरना आपेल छे. तथा अना पिताश्रीओ - वीरजी यादवे - ३२५ रू. दीकरीने आपेल छे. अनी पासे आ बधा पैसा सुखडीना भाग रूपे आवेला, बचावेला - स्त्रीधन रूपे हता. आ विगत स्पष्ट करे छे के दुकान गिरे आपीने, दुकान बचावी लेवानी आ कायदेसरनी युक्ति छे. आवा बेनामी व्यवहार मे जमानामां थता हता तेव॒ आ दस्तावेज स्पष्ट करे छे.
वळी, सुखडीना पैसा अर्थात् दस्तूरी लेखे दीकरीने के पत्नीने पैसा अपाता तथा ते तेनुं पोता- धन गणातुं. स्त्रीधनने कायदो स्पर्शतो नथी, एटले अहीं पत्नीने ज हाट गिरवे अपाय छे.
त्यारबाद हाटनुं वर्णन तथा खूटनी विगतो छे ते मुजब प्रस्तुत हाट ३ खण्डवाळु, पश्चिमाभिमुखी, उपर पीटणी अने गुखा (पाटडो अने गोखला) साथेनुं छे. आगला भागे पेढी तरीके बनावेलो ४थो खण्ड छे. पेढी एटले दुकानना आगला भागमां मोटो ओटलो होय. त्यां मालिक गादी नांखीने बेसता होय, जेथी आवता-जता ग्राहको पर नजर रही शके. घणीवार ओनी आगळ कठेडा जेवू बनाववामां आवतुं. आजे होटलोमां थडे बेठेल मेनेजर कहीओ छीओ तेवू कांईक आ छे. पण दुकाने ओटलाना पगथियांनी नीचे ओक के वधारे मोटां पगथियां होय जे मुख्य रस्ताथी थोडंक ऊंचे होय. आ हाटनी रचना पण आवी छे. आगळना कठोडावाळा भागे नळियावाळं छापरु छे, जेथी
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अनुसन्धान ५० (२)
ओटलो होवा छतां वरसादमां रक्षण रहे, खूट जोतां, पूर्वे पछीत आवे. त्यां मुसलमान दरजीना घरो छे. त्यां नेवना पाणी पडे छे. हाटनी पेढीना पाणीनुं निकाल पश्चिमे छे. (आगळ जणावेल छे के पेढी पर छापरुं छे). आगळ राजमार्ग छे, मतलब आ हाट मोकानी जगा परनुं छे, दक्षिणे पनजी सोतरियानुं (सुतरियानुं ?) घर छे. उत्तरे शाह भगवतीदासनी दुकान छे.
त्यारबाद गिरवे केटला रूपियामां आप्युं तेनी विगत छे. तथा तेनी शरतोनो उल्लेख छे. अमदावादना टंकशाळना ८२३ रू. बाई पूजीओ त्रिलोकशीने आप्या छे. साक्षीनी सही जोतां, त्रिलोकशीना बे दीकराओ ज सही करेली जणाय छे. दर वर्षे वळतिउ १० त्रांबाना पैसा आपवाना रहे छे. अमां मात्र पुजीना पेटना दीकराने वापरवानो अधिकार जणाव्यो छे. अहीं 'पेटना' शब्द अगत्यनो छे. ओ समये पुरुषो कायदेसर रीते एकथी वधु पत्नी करी शकता, बाई पूजीओ पैसा आप्या छे तेथी हक मात्र तेनी कुखेथी जन्म लेनारनो रहे छे तेवी स्पष्टता दस्तावेजमां कराती ते जाणवा जेवी बाबत छे. वळी आ हाट, त्रिलोकशीने मोसाळ पक्षेथी मळ्युं छे अटले मोसाळनुं कोई पण हक करतुं न आवे तेनी काळजी लेवाई छे. दीकरीने पिता नाणांकीय संकट वखते मदद करतां अने सुखडीमां तेनो भाग रहेतो.
आम प्रस्तुत मोगलकालीन दस्तावेज अमदावादनी भूगोळ, तत्कालीन राजकीय परिस्थिति, शासक अने शासन सम्बन्धी विगतो तथा ते समयनी सामाजिक-कौटुम्बिक बाबतो-रिवाजो जणावतुं होईने अगत्यनुं बने छे.
सं. १७३०नो गिरोखतनो मूळपाठ १ :॥ स्वस्ति श्रीमन्नृप विक्रमाऽर्क सितमातीत (समयातीत) । संवत् (त)
१७३० वर्षे शाके १५[९५] २ प्रवर्त्तमाने चैत्र शूदि १० रवौ । दने अद्येह श्री अहिम्मदावाद मधे हाट
ग्रहीण३ क पत्रममि लख्यते । अद्येह श्री गूर्जराधीश । माहाराजाधिराज पातशाह श्री ४ श्री७ महिददीन महिम्मद उरगजेहेब बाधुर आलमगीर पातशाह गाजी ५ शाहस्यांहानाबाद मधे विजय राज्ये । तत्र श्री अहिम्मदावादे हाकिम नबाब
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श्री५ महिम्मद अमीषां(खां)न । तस्याग्रे राज्यि श्री५ रंगीलादास । दीवानी मीर्या श्री५ शेष(ख) निजांमदी अहिम्मद । बक्सी मीयां श्री५ मीर बाहावदी
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८ शेन । कादी श्री५ मीर महिम्मद शरीफ । अदलमीर श्री५ अबू नासर ९ अमीन दारोगा मीयां श्री अहिम्मद बेग । चुतरे मीयां श्री५ अली रजा
वेग १० मुशरफ ठाकुर निखिलदास । सहिर कानूंगो समस्त एतान् धर्मन्यायां
प्रवर्तते । ११ एवं पंचकुलान्वये । तत्र हवेलयां वडा चुतरानी । त्रिपोलीआ मांहिली
पासां१२ नी नाहानी दोशीहटी मधे पंचहटी मधेनूं हाट ग्रहणके दत्तांनि । श्री ओ१३ श वंश ज्ञातीय । वृद्धि शाषा(खा)यां । बाई पूजी बिन वीरजी बिन
यादव ए वीर१४ जीनी पुत्री बाई पूजी पारस्यात् । भर्थार साह तीलोकशी बिन प्रतापशी १५ बिन वीरजी ए साह तीलोकशी हस्ताक्षराणि दत्तां । यित हाट ओक १
षं(ख)ड इत्र१६ ण पश्चिमीभिमूष(ख)नूं छि । षं(ख)ड ३ त्रण ऊपरि पीटणी छि ते
सहित । १ गुषा(खा) छि । १७ अग्रे षं(ख)ड ४ पेढीनुं छि । ऊपरि नलीअर छापर छि । ए हाट
सर्वोपस्कर छादित १८ भूमि सहितं । ए हाटनां पूं(खू)ट पूर्व दिसि पछीति मुसलमान दरजीनां
घर छि । १९ नेव पडि छि । पश्चिमे ए हाटन(नी) पेढीनुं नीकाल छि पगथीईआं छि। २० अग्रे राजमार्ग छि । दक्षिणे साह पनजी बिन सोतरीआनूं हाट छि । उत्तरे
सा२१ ह भग्वतीदास (भगवतीदास) बिन ..........नू हाट छि । एवं च्यारि ४
षू (खू)टांनि । एवंविध ए हाट
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२२ ग्रहणके दत्तांनि । तस्योपरि अहिम्मदावादनी टंकसालिना आकरा कोरा
मासा
२३ ११॥ ना रूपैआ ८२३ अंके आठसहि त्रेवीस पूरा रोकडां । बाई पूजी पाथी साह
२४ तीलोकशीअि लेईनि ए हाट बाई पूजीनी ग्रहिणि आपूछि । हवि ए
५०
हा
२५
ट पड्यूं करापिते । तथा राजक दैवक लागीते । तथा नलीआंनी खोटि ए हाट छोड
२६ वतां सर्वे ए हाटना धणी वर्ती आपि । संचरामणी बिसनारनी । रूप्पै२७ आनूं वाज नही । ए हाटनूं भाड्यूं नही एणिहिरि बाई पूजी तथा बाई २८ पूजीना पुत्र पेटना परिवार बिसि वसिइ आपे । ग्रहि मूकि । तिह्वारि २९ ए हाटना धणी कणवार न करि । वलतीउ वर्ष ओक १ प्रति थोकडि दोडा
३०
१० दस छूटा त्रांबाना वलती । यिह्वारि साह तीलोकशी रूप्पैआ आठसहि ३१ अकवीस पूरा रोकडा एकिमूठि बाई पूजीनि । तथा बाई पूजीना पुत्र परिवारनि आपी
३२ तिवारि ए हाट छूटि । ए हाटनु को वहिरशि आपि तेहनी साह तीलोकशी प्री
३३ छवी वारि । ए हाट साह तीलोकशीनि मुहुसाल पक्ष्यानूं छि । ए हाटनां
षा (खा)
३४ ल प्रनाल नेव पेढी । पगथाईआं सर्वा पूर्वा रीति समंधी सही । रूप्पैआ मधे रूप्पैआ ४९८ ए बाई पूजीअ पोतानी मुहुरना आपा छि। तथा रूप्पै ३२५
३५
३६ त्रणसहि पंचवीस साह वीरजी यादवना । बाई पाशे सूष ( ख ) डीना हता ते बाई पूजीअ आ
३७ पा छि एणी वगति जमलि रूप्पैआ ८२३ आठसहि त्रेवीस आपीनि ए हाट ग्रहिणि लीधूं छि
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________________ मार्च 2010 1 अत्र मतू 1 अत्र साष्यि (ख्य) 1 तलोकशी परताप मतु उप 1 पदमसी तलकसी साख 35 2 लखातै सही रू 823 गरद रि लाखुत्त सह बाप न बोलसी देवा पल 1 दीपचन्द तलकसी साख ऊपर लखूस अपनापन बोलतूं पलीओ शब्दार्थ पंक्ति 2 ग्रहीणक = गिरवे 4 बाधुर = बहादुर 4 उरंगजेहेब = औरंगझेब 16 गुखा = गोखला ? 16 पीटणी = पाटडो ? 17 अग्रे = आगळ 17 पेढी = थडो / दुकाननी आगळनी कठेडावाळी जग्या (ओटला) ज्यांथी ग्राहको प्रत्ये नजर रहे. 19 पगथीईआ = मोटा पगथियां 29 कणवार = ककळाट 37 वगति = विगत / प्रमाणे 37 जमलि = ओकीसाथे / भेगा / सरवाळो 35 मुहुर = स्त्रीधन ? C/o. 8 जयमा सोसायटी, मानसी सर्कल पासे, अमदावाद-१५