Book Title: Namokar Mantra Ek Anuchintan
Author(s): Dhyansagar
Publisher: Dhyansagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र, Recite According Digamber Tradition णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं णमो उज्झायाणं णमो लोए सव्वसाहूणं एसो पञ्च णमोयारो, सव्वपावप्पणासणो ! मंगलाणं च सव्वेसिं पढ़मं हवई मंगलम !! अरहंत तथा सिद्ध आराध्य है। आचार्य, उपाध्याय तथा साधु आराधक है ! दर्शन, ज्ञान, चारित्र आराधनाये होती है। णमोकार मंत्र में 35 अक्षर, 58 मात्राए, 5 पद होते है, यह मूलमंत्र "प्राकृत" भाषा में है, ये मंत्र अनादी निधन हैइस युग की अपेक्षा से सर्वप्रथम "षटखंडागम" ग्रन्थ में लिखा हुआ मिलता हैइस ग्रन्थ की रचना आचार्य भूतबलि तथा आचार्य पुष्पदंत ने लगभग 2,000 वर्ष पूर्व की थी। उच्चारण: णमोकार मंत्र के उच्चारण में दिगम्बरतथा श्वेतांबर बंधुओ में कुछ पाठ भेद है इस मंत्र के उच्चारण में "णमो" में "ण" का उच्चारण "ण" करे "णमो" बोलना है! , नमो पाठ श्वेतांबर मूर्तिपूजक और मंदिर मार्गीयो बंधुओ में विशेष रूप से प्रचलन में है"न" बोलना व्याकरण से अशुद्ध नहीं है दिगम्बर में "णमो" पाठ चलता है! णमो अरिहंताणं: "णमो अरिहंताणं" में 3 पाठ पाए जाते है (अ) "षटखंडागम" ग्रन्थ में "अरिहंताणं" पाठ मंगलाचरण में आया है , "अरहंताणं" पाठ क्रिया कलाप ग्रन्थ में (रचयेता -आचार्य प्रभाचन्द्र स्वामी जी) मिलता है ये ग्रन्थ "षटखंडागम" से भी पुराना है ! ये पाठ गौतम स्वामी जी शिष्य की परंपरा के तहत चला आया है, "षटखंडागम" तथा "क्रिया कलाप" ग्रन्थ में यह कह पाना संभव नहीं है की कौन सा पुराना पाठ है, लेकिन दोनों पाठ शुद्ध पाठ है "अरुहंताणं" पाठ भगवती सूत्र ग्रन्थ में मिलता है आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज (आचार्य विद्यासागर जी महाराज के गुरुवर) मंगलाचरण में तीनो उच्चारण करते थे आचार्य विद्यासागर जी महाराज "णमो अरहताणं" पाठ करते है, मुनि श्री सुधा सागर जी "णमो अरिहंताणं" का पाठ करते है। णमो अरिहंताणं तथा णमो अरहंताणं के मंत्र शक्ति के बारे में मुनि श्री सुधा सागर जी का कहना है...... णमो अरिहंताणं का पाठ: अगर कोई बड़ा कार्य करना हो पुरुषार्थ जाग्रत करना हो तेज प्रकट करना हो, सक्रिय होना, ओजस्विता प्रकट करना हो । णमो अरहंताणं का पाठ: अगर शांत रस (मुद्रा) में जाना हो, निवृत्ति रूप होना हो, अंतरमुख प्रवर्ति होते है ! .....यह बात उन्होंने अपने अनुभव से जानी है! णमो सिद्धाणं: इस पद का उच्चारण हम लोग सही करते है। णमो आइरियाणं: इस पद में 2 पाठ भेद मिलते है, (1) णमो आइरियाणं (2) णमो आयरियाणं, णमो आयरियाणं पाठ श्वेतांबर बंधुओ में विशेष रूप से चलन में है ! हमें "णमो आइरियाणं" का उच्चारण करना चाहिये कारण:"णमो आइरियाणं" "षटखंडागम" ग्रन्थ का पाठ है । "इ" में मंत्र शक्ति अधिक होती है "य" की अपेक्षा, कारण "इ" शुद्ध स्वर है, जबकि "य" में व्यंजन के साथ स्वर मिलाहुआ है ! "आइरियाणं" में "रि" में मात्रा छोटी है तो उच्चारण कम समय मेंकरना है, "रि" को लम्बा नहीं खीचना है ! णमो उज्झायाणं: इस पद का उच्चारण हम लोग सही करते है। णमो लोए सव्वसाहणं: इस पद के उच्चारण करने में हम लोग 2 गलतिया करते है "लोए" में जो "ए" ये "एडी" & "एक" वाला "ए" है इनको एक मात्रा में बोलना है, "लोए" में "ए" को लम्बा नहीं बोलना इसको कम समय में बोलना है ! अब बात करते है "साहूणं" की, "साहूणं" में "ह" में बड़ी मात्रा है न के छोटी, "साहूणं" में "ह" का उच्चारण दीर्घ करना है। Page - 1 Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमोकार मंत्र की महिमा दर्शाने वाली चुलीका (काव्य). एसो पञ्च णमोयारो, सव्वपावप्पणासणो !, मंगलाणं च सव्वेसिं, पढ़मं हवई मंगलम ! (1) "एसो" में "ए" "एडी" तथा "एक" वाला है ना कि "ऐनक" वाला, जबकि जब हम उच्चारण करते है तो - "ऐसो" करते है, जबकि यह "एसो" है "एक" वाला, "एक" से "ए" का उच्चारण लो तथा "एसो" से "सो" का उच्चारण लो और देखो क्या अंतर है। "एसो" का अर्थ "ऐसा" नहीं होता है! "एसो" का अर्थ "यह" होता है / (2) "णमोयारो" इसके पाठ भेद है "णमोयारो" "णमोक्कारो" तथा "णमुक्कारो", दिगम्बर में "णमोयारो" तथा, श्वेतांबर बंधुओ में "णमुक्कारो",व्याकरण से दोनों शुद्ध है, इसमें विवाद वाली कोई बात नहीं है दोनों का अर्थ एक ही है! (3) सव्वपावप्पणासणोः इस को हम लोग जब जल्दी में बोलते है तो कुछ उच्चारण के गलतिया करते है। वैसे अगर आपको व्याकरण के जानकारी है तो बताना सही होगा सव्वपावप्पणासणो में "सव्व" यहाँ पर स्वराघात नहीं करना है"पावप्प" यहाँ स्वराघात करना है ! (4) "पढ़मं" इसके उच्चारण पर विशेष ध्यान देने वाली बात है क्योंकि "पढ़मं" में "ढ" है न की "ड" ये "डमरू" वाला "ड" नहीं है, "ढोलक" "ढक्कन" वाला "ढ" है तो उच्चारण "पढ़मं" करे न की "पडमं", "पडम" में "ड" का उच्चारण थोडा सोफ्ट है जबकि "पढ़मं" में "ढ" का उच्चारण हार्ड है, "ढोलक" बोलो तथा "पढ़मं" बोलो क्या "पढ़मं" में "ढ" का उच्चारण "ढोलक" वाला आ रहा है। (5) "हवई" के भी 2 उच्चारण होते है "होई" तथा "हवई", "हवई" उच्चारण ठीक है। हम लोगो को उच्चारण करते समय ध्यान रखना होगाइस के लिए सिर्फ 21 दिन हम कोशिश करे सही उच्चारण करने की फिर अपने आपही सही उच्चारण आएगा उच्चारण में गलतिया करने से मात्राये कम या ज्यादा हो जाती है हमें उच्चारण 58 मात्राओ में ही करना चाहिये जैसे आइरियाणं का "रि" को लम्बा उच्चारण करदो या लोए का "ए" का उच्चारण लम्बा करदो तो मात्राए 58 या 60 हो जायेंगी / क्योंकि हमारे को आदत पड़ी हुए है। तो शुरुवात में सावधान रहने की जरुरत होगी उच्चारण तो ठीक करने के लिए! ये लेख क्षुल्लक ध्यानसागर जी महाराज (आचार्य विद्यासागर जी महाराज से दीक्षित शिष्य) के प्रवचनों के आधार पर लिखा गया है। Freely Download Now Rare Preaching's by Various Monks like Acharya Shantisagar ji, Acharya Vidyasagar Ji, Sudhasagar ji, Kshamasagar Ji, Dhyansagar Ji & So on: www.jinvaani.org Download Freely Treasures of Online Jainism Music Resource's Bhaktamar Stotra, Puja, Stavan, Stotra, Ravindra Jain's Spiritual MP3: www.wuistudio.com [still downloaded 10,000 Times within 9 months] Page-2