Book Title: Kya Motapa Yoga se Kam Hota Hai
Author(s): B K Bandre
Publisher: Z_Umravkunvarji_Diksha_Swarna_Jayanti_Smruti_Granth_012035.pdf
Catalog link: https://jainqq.org/explore/210419/1

JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLY
Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RENT क्या मोटापा योग से कम होता है ? अचेनार्चन डॉ. बी. के. बान्द्रे, एम. ए., पी-एच. डी. (योग) जी हाँ ! योग की कुछ निम्नलिखित क्रियानों, आसनों से मोटापा अवश्य ही कम होता है। परन्तु शीघ्र अच्छे परिणाम के लिए भोजन नियन्त्रित करना भी प्रावश्यक है। केवल व्यायाम या केवल भोजन पर नियन्त्रण से मोटापा स्थायी रूप से कम नहीं होगा। दोनों बातों को समान महत्त्व देना चाहिए। आधुनिक मानव के भौतिक दुःखों में मोटापे का स्थान सर्वाधिक ऊँचा है। अनेक रोगों की जड़-मोटापा प्राधुनिक स्त्री-पुरुष, बालक-बालिकाओं प्रादि के लिए मानसिक चिन्ता का विषय बन गया है । आधुनिक मशीनों, यन्त्रों एवं स्वचालित उपकरणों ने हमारी मानसिकता को कमजोर बनाया है। किसी प्रकार का परिश्रम, मेहनतकश कार्य करना असभ्यता का विषय बन गया है। स्वयं का कार्य स्वयं न करना प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। इसके विपरीत स्वास्थ्य की परिभाषा में दुबला-पतला शरीर, लम्बे-लम्बे बाल, प्रक्षीकप रूपी अांखें, अन्दर धंसा हा सीना, बाहर की ओर झुकता हरा पेट, आँखों पर कम उमर में चश्मा लगाना सम्मिलित किया जा रहा है। योग शरीर को सुडौल बनाता है। मोटा व्यक्ति संतुलित शरीर का निर्माण योग की कुछ क्रियानों से कर सकता है। पतला एवं कमजोर व्यक्ति भी भोजन-पाचनसंस्थान की कमजोरी दूर करते हुए संतुलित शरीर का व्यक्ति बन सकता है। निम्न कुछ विधियों को योग के निर्देशानुसार अपनाने पर निश्चित रूप से मोटापा घटता है। लगभग प्रतिदिन तीस मिनट का अभ्यास करने पर पेट, कूल्हे, भुजाओं का मोटापा घटना सम्भव है। (१) अग्निसारक्रिया विधि-खड़े होकर दोनों पैरों में दो फुट का अन्तर रखें। दोनों पैर घुटनों से थोड़े मोड़ कर दोनों हाथों को घुटनों पर रखें। सामने देखें । श्वास बाहर निकाल कर बाहर रोकें । पेट को अन्दर-बाहर खीचें और ढीला छोड़ें। जब तक श्वास बाहर रुकी रह सके तब तक पेट को अन्दर-बाहर चलाते रहो। प्रारम्भ में मोटापे के कारण ४-५ बार पेट चलेगा धीरे-धीरे, अभ्यास से एक ही बार श्वास रोक कर ४०-५० बार चलावें। फिर सीधे खड़े होकर लम्बीलम्बी श्वास भीतर लें और बाहर छोडें। इस क्रिया को पहले तीन बार और फिर छः बार तक करें। लाम-पेट का मोटापा घटता है। कब्जियत मिटती है। श्वास-प्रश्वास की प्रक्रिया में सुधार होकर श्वास का फलना कम हो जाता है। Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्या मोटापा योग से कम होता है ? | २६५ (२) शशकासन विधि-दोनों पैरों के घटने मोड़कर एड़ियों के भीतर नितम्बों को रखें और कमर सीधी रखते हुए बैठ जाइए। दोनों हाथों को ऊपर उठा कर सामने झुकें, हाथों की कोहनियों को सीधी रखते हुए माथा जमीन पर लगाने का प्रयास करें। श्वास लेना-छोड़ना बन्द न करें। धीरे-धीरे हाथ ऊपर उठाते हुए ऊपर आइये । लगभग १ से २ मिनट तक इसी स्थिति में रहना उचित है। इस प्रासन को गर्भवती महिलायें न करें। हृदयरोग एवं उच्च रक्तचाप वाले न करें। यह पेट का मोटापा घटाने में सरल एवं उपयुक्त प्रासन है। (३) योगमुद्रा विधि-दोनों पैर को लम्बा रखते हए जमीन पर आसन बिछा कर बैठ जाइए । दाहिने पैर को घुटने से मोड़ कर बायें पर की जांघ पर रखें। बायें पैर को घुटनों से मोड़ कर दाहिने पैर की जांघ पर रखें, इस प्रकार पद्मासन पूर्ण हो जायेगा । अब दोनों हाथ ऊपर उठा कर सामने झुक जाइये और मस्तक को घटनों से आगे जमीन पर लगाने का सहज प्रयास कीजिए । श्वास लेना-छोड़ना न भूलें। इस स्थिति में लगभग १ से २ मिनट तक स्थिर रहें। फिर धीरे-धीरे ऊपर उठ कर पैर खोल दीजिए। यह आसन पेट, कूल्हे एवं जंघात्रों का मोटापा घटाने में उपयुक्त है। घटनों के भयंकर दर्द में यह न करें। पद्मासन न होने की स्थिति में अर्ध-पद्मासन करते हुए योगमुद्रा करना प्रारम्भ में उपयुक्त होगा। (४) वक्रासन विधि-दोनों पैर लम्बे करते हए जमीन पर बैठ जाइए। दोनों हाथों को पीठ के पीछे जमीन पर रखें। दाहिने पैर को घुटनों से मोड़ कर बायें पैर के घुटने के पास जमीन पर जमाइये । बायां हाथ पीछे से उठा कर छाती और दाहिने घुटने के बीच से निकाल कर लम्बे पैर के घुटनों को पकड़ लीजिए। दाहिने कंधे और गर्दन को दाहिनी तरफ घुमाइये । इस स्थिति में कुछ देर तक श्वास-प्रश्वास लेते हुए बैठे रहें। इसे वक्रासन कहते हैं। वक्रासन इसी प्रकार दूसरी तरफ से उतने ही समय के लिए कीजिये । अत्यधिक कमर दर्द में इसे न करें। गुर्दे के दर्द में एवं जिगर की कमजोरी पर इसे न करें। यह आसन पेट का मोटापा घटाता है। मोटापे में भूख कम लगती है। भूख कम हो जाती है। (५) अर्धशलभासन विधि-जमीन पर प्रासन डाल कर पेट के बल लेट जाइये। दोनों हाथों को अपने शरीर के साथ रखें। जमीन पर हथेलियां जमायें और ठोड़ी भी जमीन पर रखें । एक पैर को पीछे से ऊपर उठायें। घुटने को न मोड़ें और श्वास साधारण चलने देवें । लगभग १ से १३ मिनट तक इस स्थिति में लेटे रहें और इस प्रकार दूसरे पैर को ऊपर उठायें। समय उतना ही लगायें। यह प्रासन कल्हे, जंघानों एवं पेड़ का मोटापा घटाता है। इससे उच्च रक्तचाप कम हो कर शक्ति-स्फति का आभास होने लगता है। दोनों पैरों को एक-साथ उठाने पर शलभासन किया जाता है। आसनस्थ तम | आत्मस्थ मम तब हो सके आश्वस्त जम Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अचनाचम पंचम खण्ड | 266 (6) पवनमुक्तासन पवनमुक्तासन पेट का मोटापा दूर करने में बेजोड़ प्रासन है। यह पेट की दूषित वायु बाहर निकालने में सहज सहायक है। पीठ पर लेट जाइये। दोनों पैरों को 90deg उठाइये और घुटनों से मोड़ कर दोनों हाथों से घुटनों के ऊपर से पकड़ कर पेट की ओर खीचें / साथ ही गर्दन ऊपर उठाकर माथा या ठोड़ी घुटनों से लगाने का प्रयत्न कीजिये। धीरे-धीरे अभ्यास से यह सम्भव है / श्वास-प्रश्वास करते हुए इस स्थिति में 2-3 मिनट तक रोकें और पैरों को छोड़ कर सीधे करते हुए लेट जाइये। ध्यान रखें कि इस आसन में श्वास न रोकें, अन्यथा सिर भारी हो जाता है। हृदय रोगी को इसे नहीं करना चाहिए / (7) द्विपादउत्थितासन पीठ के बल लेट कर दोनों हाथों को शरीर के साथ रखें। गर्दन, कमर सीधी रखें। घटनों से पैर सीधे रखते हुए दोनों पैरों को 450 ऊपर उठाते हए श्वास-प्रश्वास कीजिए। इस स्थिति में लगभग 1 से 2 मिनट तक रुकें। प्रारम्भ में यह समय अपनी शक्ति के अनुसार रखें। अभ्यास से समय बढ़ाइये / यह प्रासन पेट, जंघाओं एवं कूल्हों का मोटापा कम करता है। पेट के रोगों में लाभकारी है। कब्जियत दूर करता है। बवासीर में लाभकारी है। घबराहट, हृदय की धड़कन कम करता है। रक्तचाप सामान्य रखता है / प्रारम्भ में यदि दोनों पर न उठते हों तो एक पैर से इसका अभ्यास करें। कुछ दिनों के बाद दोनों पैरों से यह प्रासन होने लगेगा / पेट के भयंकर दर्द में इसे न करें। ई-५ रतलाम कोठी, इन्दौर-४५२००१