Book Title: Aagam Manjusha 09 Angsuttam Mool 09 Anuttarovvaaiya
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ _ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरूभ्यो नमः On Line - आगममंजूषा [९] अनुत्तरोववाइयदसाओ * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मुनि दीपरत्नसागर M.Com. M.Ed. FRD] Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत १९९८, ई. स. 1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागररिजी म.सा. ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स. 2012, विक्रम संवत २०६८, वीर संवत -२५३८ में वो ही आगम- मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा " नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। मूल आगम- मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * * है। [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४० ) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ निर्युक्ति भी सामिल की गई है| [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम - ३८ ) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है | [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया [४] “ओघनिर्युक्ति”-(आगम-४१ ) के वैकल्पिक आगम “पिंडनिर्युक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है| Online-आगममंजूषा : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp. DholeshwarMandir, POST :- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 jainmunideepratnasagar@gmail.com मुनि दीपरत्नसागर -मुनि दीपरत्नसागर Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जनजानिकारतेणं कालेणं० रायगिहे णगरे अज्जमुहम्मस्स समोसरणं परिसा णिग्गया जाव जंबू पज्जुवासनिक एवं व जति पण भंते ! समणेणं जाव संप. नाप साजरतेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अयमढे पं० नवमस्स गं भंते ! अंगस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं जाव संपनेणं के अट्टे पं० १.तए णं से सुधम्मे अणगारे जंबू अणगारं एवं य० एवं खलु जंबू ! समजेणं जाव संपत्तेणं नवमस्स अंगस्स अणुत्तरोवबाइयदसाणं तिण्णि वग्गा पं०, जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं नवमस्स अंगस्स अणुत्तरोबवाइयदसाणं ततो वग्गा पं० पढमस्स गं भंते ! वग्गस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं (प्र० समणेणं जाव संपत्तेणं) कइ अझयणा पं०१, एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पं० त०-जालि मयालि उवयालि परिससेणे य वारिसेणे य दीहदंते य लट्ठदंते य वेहाडे बेहासे अभयेति य कुमारे। जहणं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणु० पढमस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पं० पदमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स अणुतरोव० समणेणं जाव संपनेणं के अढे पं०१, एवं खलु जंचू ! तेणं कालेण रायगिहे णगरे रिदस्यिमियसमिद्धे गुणसिलए चेतिते सेणिए राया धारिणी देवी सीहो सुमिणे जालीकुमारो जहा मेहो अट्टओ दाओ सेणिओ णिग्गओ जहा मेहो तहा जालीवि णिग्गतो तहेव णिक्खंतो जहा मेहो. एकारस अंगाई अहिनति गुणरयणं तवाकम्म. एवं जा चेव खंदगवत्तब्वया सा चेव चिंतणा आपुच्छणा येरेहिं सद्धिं विपुलं तहेव दुरूहति, नवरं सोलस वासाई सामनपरियागं पाउणित्ता कालमासे कालं किचा उइदं चंदिमसोहम्मीसाणजावआरणञ्चुए कप्पे नव य गेवेजे विमाणपत्यडे उड्ढं दूरं बीतीवतित्ता विजयविमाणे देवत्ताए उववण्णे, तते णं ते घेरा भग० जालिं अणगारं कालगयं जाणेत्ता परिनिष्वाणवनियं काउस्सग्गं करेंति त्ता पनचीवराई गेहंति तहेव ओयरंति जाव इमे से आयारभंडए, भंतेत्ति भगवं गोयमे जाव एवं व० एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी जालिनाम अणगारे पगतिभदए. से णं जाली अणगारे काल• कहिं गते कहिं उबवने ?, एवं खल गोयमा ! ममं अंतेवासी तहेव जया खंदयस्स जाव काल उइदं चंदिम जाव विमाणे देवनाए उबवणे, जालिस्स णं भने ! देवस्स केवतियं कालं ठिती पं०, गोयमा: बत्तीसं सागरोवमाई ठिती पं०, सेणं भंते ! ताओ देवलोयाओ आउक्खएणं० कहि गच्छिहिनि?, गोयमा : महाविदेहे वासे सिज्झिहिति०, ना एवं जंचू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमवम्गस्स पढमज्झयणस्स अयमट्टे पं०, अ०१॥ एवं सेसाणचि अट्टहभाणियत्रं, नवरं सन धाराणसुआ वहाउवहासा चालणाए, आाहाणं पंचहं सोलस वासाति सामनपरियानो निहं बारस वासाति दोण्ड पंच वासानि. आहाताणं पंच आणपत्रीए उपवायो विजये वेजयंत जयंते अपराजिते सबसिदे. दीहदंते सबट्ठसिद्धे, उक्कमेणं सेसा, अभओ विजए, सेसं जहा पढमे, अभयस्स णाणनं, रायगिहे नगरे सेणिए राया नंदा देवी माया सेस तहेब, एवं खलु जंचू ! समणेणं जाव संपनेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स अयमढे पं०।१॥ वग्गो०१॥ जति णं भंते ! समणेणं जाव संपनेणं अणुनरोववाइयदसाण पढमस्स बग्गस्स अयमद्वे पं० दोबस्स णं भंते ! वग्गस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्टे पं०?, एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं दोबस्स वग्गस्स अणुनरोववाइयदसाणं तेरस ५१४.अनुत्तरौपपातिकदशांग 2017-२. मुनि दीपरत्नसागर Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अज्मयणा पं० नं०-दीहसेणे महासेणे लट्टदंते य गूढदंते य सुद्धदते हरले दुमे दुमसेणे महादुमसेणे य आहिते सीहे य सीहसेणे य महासीहसेणे य पुन्नसेणे य बोद्धवे तेरसमे होति अज्मयणे। जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुनरोदवाइयदसाणं दोबस्स वग्गस्स तेरस अज्झयणा पं० दोच्चस्स णं भंते ! वग्गम्स पढमज्झयणम्स समजावसं के अट्ठे पं?. एवं खल, जंबू ! तेण कारेण रायगिहे णगरे गुणसिलने चेनिने सेणिए राया धारिणी देवी सीहो मुमिणे जहा जाली नहा जम्मं चालनणं कलातो नवरं दीहसेणे कमारे सचेच बनव्वया जहा जालिम्स जाब अंनं काहिति, एवं तेरसवि रायगिहे सेणिओ पिता धारिणी माता नेरसण्हवि सोलसवासा परियातो. आणपबीए विजए दोनि वेजयंते दोनि जयंने दोनि अपरा. जिते दोनि. सेसा महादुमसेणमाती पंच सबट्ठसिद्धे, एवं ग्वल जंबू ! समणेणं अणुनरोववाइयदसाणं दोचस्स वग्गस्स अयमट्टे पं०. मासियाए सलेहणाए दोमुवि वग्गेसु । २॥ वग्गों २॥ जनि णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुनरो दोच्चस्स वग्गम्स अयमट्टे पं० तचस्स णं भंते! वग्गस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं सम जाव सं के अट्टे पं०. एवं खल जंबू ! समणेणं अणत्तरोचवाइयदसाणं तचस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पं० ते. धणे य सुणक्खत्ते. इसिदासे अ आहिते। पेडए रामपुत्ते य, चंदिमा पिट्टिमाइया ॥१॥ पेढारपने अणगारे, नवमे पुट्ठिलेइ य (म० पहिले तहेवय)। वेहड़े दसमे वुत्ते, एमेते दस आहिते ॥२॥ जति णं भंते ! समजाव सं० अणुनर० नचस्स वम्गस्स दस अज्झयणा पं० पढमम्स णं भने! अज्झयणस्स समणेणं जाव संपनेणं के अटे पं० १. एवं खल जंबू ! तेणं कालेणं० कागंदी णाम णगरी होत्था रिहस्थिमियसमिद्धा सहस्संबवणे उजाणे सव्वोदुए जिअमनू राया, तन्य कागदीए नगरीए भहा णामं सत्यवाही परिवसई अड्ढा जाव अपरिभुआ, तीसे णं महाए सत्यवाहीए पुत्ते धन्ने नामं दारए होत्या अहीण जाव सुरुवे पंचधानीपरिग्महिने २०. खीरधाती जहा महञ्चले जाव बावतार कलातो अहीए जाव अलंभोगसमस्थे जाते यावि होन्था, तते णं सा भहा सस्थवाही धन्नं दारयं उम्मकबालभावं जाव भोगसमन्वं वापि जाणेत्ता बनीसं पासायवडिंसते कारेति अब्भुग्गतमूसिते जाव तेसि मज्झे भवणं अणेगखंभसयसन्निविटें जाव बत्तीसाए इन्भवरकन्नगाणं एगदिवसेणं पाणिं गेण्हावेनि ता वत्नीसओ दाओ जाव उप्पि पासाय० फुटुंतेहिं जाब विहरति, तेणं कालेणं० समणे समोसढे परिसा निग्गया राया जहा कोणितो तहा जियसनू णिग्गतो. तते णं तम्स धन्नम्स तं महता जहा जमाली तहा णिग्गतो. नवरं पायचारेणं जाव जं नवरं अम्मयं भई सस्थवाहि आपुच्छामि तते णं अहं देवाणुपियाणं अंतिते जाव पवयामि जाव जहा जमादी तहा आपुच्छह मच्छिया वृत्तपडिबुत्तया जहा महब्बले जाव जाहे णो संचाएति जहा थावचा जियसर्नु आपुच्छति छत्तचामरातो० सयमेव जियसनू णिक्वमणं करेति जहा थावचापुत्तम्स कण्हो जाव पबतिते. अणगारे जाते ईरियासमिते जाव बंभयारी, तते णं से धन्ने अणगारे जं चेव दिवस मुंडे भवित्ता जाव पव्वतिते तं चेव दिवसं समणं भगवं महावीरं वंदति णमंसनि ना एवं क० इच्छामि गं भंते! तुम्भेणं अभणुण्णाते समाणे जावज्जीवाए छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं आयंबिलपरिग्गहिएणं तबोकम्मेणं अपाणं भावेमाणे विहरेत्तते छट्ठस्सविय णं पारणयसि कप्पति में आयंबिलं पडिग्गाहित्तते नो चेव णं अणायंबिलं तंपिय संसटुं णो चेवणं असंसठं तंपिय णं उज्झियधम्मियं नो चेवणं अणुज्झियधम्मियं तंपि य जं अन्ने बहवे समणमाह - णअतिहिकिवणवणीमगा णावखंति. अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिबंध०, तते णं से धन्ने अणगारे समणेणं भगवता महावीरेण अभणन्नाने समाणे हट्ठ जावज्जीवाए छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे विहरति. तते णं से धण्णे अणगारे पढमछट्टक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरसीए सज्झायं करेति जहा गोतमसामी नहेब आपुच्छनि जाव जेणेव कायंदी णगरी तेणेव उवा०त्ता कायंदीणगरीए उच्च जाव अहमाणे आयंबिलं जाव णावखंति, तते णं से धन्ने अणगारे ताए अब्भुजताए पयत्नाए पम्गहियाए एसणाए एसमाणे जति भत्तं लभति तो पाणं ण लभति अह पाणं तो भत्तं न लभति, तते णं से धन्ने अणगारे अदीणे अविमणे अकलसे अविसादी अपरिनंतजोगी जयणघडणजोगचरिने अहा. पज्जनं समुदाणं पडिगाहेति त्ता काकंदीओ णगरीतो पडिणिक्खमति जहा गोतमे जाव पडिदंसेति, तते णं से धन्ने अणगारे समणेणं भग० अभणुनाते समाणे अमुच्छिते जाव अण झोववन्ने चिलमिच पण्णगभूतेणं अप्पाणेणं आहारं आहारेति त्ता संजमेणं तवसा० विहरति, समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाई काकंदीए णगरीतो सहस्संबवणातो उजाणानो पडिणिक्वमति ता बहिया जणवयविहारं विहरति, तते णं से धन्ने अणगारे समणस्स भ० महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिते सामाइयमाइयाइं एकारस अंगाई अहिजति संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति, तते णं से घने अणगारे तेणं ओरालेणं जहा खंदतो जाव सुहुय०चिट्ठति, धनस्सणं अणगारस्स पादाणं अयमेयारूवे तवरूवलावच होत्या. से जहा णामते सकछछीति वा कद्रपाउयाति वा जरम्गओवाहणाति वा एवामेव घनस्स अणगारस्स पाया सुक्का णिम्मंसा अट्टिचम्मछिरत्ताए पण्णायंति णो चेव णं मंससोणियत्नाए, धन्नस णं अणगारस्स पायंगलियाणं अयमेयारूवे से जहाणामते कलसंगलियाति वा मुग्गसंगलियाति वा तरुणिया छिना उण्हे दिसा मुका समाणी मिलायमाणी २ चिट्ठति एवामेव ५१५ अनुनरौपपातिकदशांगं, क -३ 358g मुनि दीपरनसागर Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Mahese धन्नस्स पायंगुलियातो सुक्कातो जाव सोणियत्ताते, धन्नस्स जंघाणं अयमेयारूवे० से जहा० काकजंघाति वा कंकजंघाति देणियालियाजंघाति वा जाव णो सोणियत्ताए, धन्नस्स जाणून अयमेयारूवे से जहा० कालिपोरेति वा मयूरपोरेति वा ढे (प्र० वे ) नियालियापोरेति वा एवं जाव सोणियत्ताए, धष्णस्स उरुस्स० जहानामते सामकरेलेति वा बोरी (सोम पा० ) करीति वा सति० सामलि० तरुणिते उन्हे जाव चिट्ठति एवामेव घनस्स उरू जाव सोणियत्ताए, धन्नस्स कडिपत्त ( पा० ) स्स इमेयारूवे ० से जहा० उट्टपादेति वा जरगव पादेति वा जाव सोणियत्ताए, घनस्स उदरभायणस्स इमे० से जहा० सुकदिएति वा भज्जणयक भलेति वा कट्ठकोलंबएति वा एवामेव उदरं सुकं, धन्न० पांसुलियकडयाणं हमे० से जहा० था (प्र० वा ) सयावलीति वा पाणा (प्र० पीण ) वलीति वा मुंडावलीति वा, धन्नस्स पिट्टिकरंडयाणं अयमेयारूचे से जहा० कन्नावलीति वा गोलावलीति वा वट्टया (प्र०वता) - चीति वा एवामेव धन्नस्स उरकडयस्स अय०, से जहा० चित्तकट्ट (म० यह रेति वा वियणपत्तेत्ति वा तालियंटपत्तेति वा एवामेव०, धन्नस्स बाहाणं० से जहाणामते समिसंगलि याति वा वाहायासंगलियाति वा अगत्थियसंगलियाति वा एवामेव०, धन्नस्स हत्थाणं० से जहा० सुकछगणियाति वा वडपत्तेति वा पलासपत्तेति वा एवामेव०, धन्नस्स हत्थंगुलिया से जहा० कलायसंगलियाति वा मुग्ग० मास० तरुणिया छिन्ना आयवे दिन्ना सुक्का समाणी एवामेव०, धन्नस्स गीवाए० से जहा० करगगीवाति वा कुंडियागीवाति वा उच्चचणतेति वा एवामेव०, धन्नस्स णं हणुआए से जहा० लाउयफलेति वा हकुवफलेति वा अंचगतियाति वा एवामेव०, धन्नस्स उद्घाणं से जहा० सुक्कजलोयाति वा सिलेसगुलियाति वा अलत्तगुलियाति वा एवामेव०, घण्णस्स जिन्माए० से जहा वडपत्तेह वा पलासपत्तेइ वा सागपत्तेति वा एवामेव०, धन्नस्स नासाए० से जहा० अंबगपेसियाति वा अंबाडगपेसियाति वा मातुलुंगपेसियाति वा तरुणिया एवामेव०, धन्नस्स अच्छीणं से जहा० वीणाछिड्डेति वा वद्धीसगछिड्डेति वा पाभातियतारिगाइ वा एवामेव०, धन्नस्स कण्णाणं० से जहा मूलाछडियाति वा वालुंक० कारेडयच्छडियाति वा एवामेव०, धन्नस्स सीसस्स से जहा० तरुणगलाउएति वा तरुणगएलालयत्ति वा सिव्हालएति वा तरुणए जाव चिट्ठति एवामेव०, धनस्स अणगारस्स सीसं सुकं लक्खं निम्मंसं अट्ठिचम्मच्छिरत्ताए पन्नायति नो चेव णं मंससोणियत्ताए, एवं सव्वस्थ, णवरं उदरभायणकन्नजीहाउद्वा एएसिं अट्ठी ण भन्नति चम्मच्छरत्ताए पण्णायइत्ति भन्नति, धनेणं अणगारेणं सुकेणं भुक्खेणं पातजंघोरुणा विगततडिकरालेणं कडिकडाहेणं पिट्टमवस्सिएणं उदरभायणेणं जोइजमाणेहिं पांसुलिकडएहिं अक्खमुत्तमालाति वा गणेजमाणेहिं पिट्टिकरंडगसंधीहिं गंगात रंगभूएणं उरकडगदेसभाएणं सुक्कसप्पसमाणाहिं बाहाहिं सिढिलकडालीविव चलंतेहि य अग्महत्येहिं कंपणवातिओविव वेवमणीए सीसघडीए पश्चादद्वदणकमले उन्भडघडामुहे उब्बुड्डणयणकोसे जीवजीवेणं गच्छति जीवजीवेणं चिट्टति भासं भासिस्सामीति गिलाति से जहाणामते इंगालसगडियाति वा जहा खंदओ तहा जाव हुयासणे इव भासरासिपलिच्छन्ने तवेणं तेएणं तवतेयसिरीए उक्सोभेमाणे २ चिट्ठति । ३। तेणं कालेणं० रायगिहे नगरे गुणसिलए चेतिते ए राया, ते काले० समणे भगवं महावीरे समोसढे परिसा णिग्गया सेणिते नि० धम्मकः परिसा पडिगया, तते णं से सेणिए राया समणस्स० अंतिए धम्मं सोचा निसम्म समणं भगवं महावीरं वंदति णमंसति त्ता एवं व० इमासिं णं भंते! इंदभूतिपामोक्खाणं चोदसहं समणसाहस्सीणं कतरे अणगारे महादुकरकारए चैत्र महाणिजरतराए चैव ?, एवं खलु सेनिया ! इमासिं इंदभूतिपामोक्खाणं चोदसण्हं समणसाहस्सीणं धन्ने अणगारे महादुकरकारए चैव महाणिजरतराए चेव, से केणट्टेणं भंते! एवं वृच्चति इमासिं जाव साहस्सीणं धन्ने अणगारे महादुक्करकारए चैव महाणिज्जर० १, एवं खलु सेणिया! तेणं कालेणं० काकंदी नाम नगरी होत्था उप्पिं पासायवर्डिसए विहरति, तते णं अहं अन्नया कदाती पुञ्चाणुपुत्रीए चरमाणे गामाणुगामं दूतिजमाणे जेणेव काकंदी णगरी जेणेव सहस्संबवणे उज्जाणे तेणेव उवागते अहापडिरूवं उग्गहं० त्ता संजमे जाव विहरामि परिसा निम्गता, तहेब जाव पव्वइते जाव चिलमिव जाव आहारेति, घण्णस्स णं अणगारस्स पादाणं सरीखन्नओ सब्बो जाव उवसोभेमाणे २ चिट्ठति, से तेणद्वेणं सेणिया ! एवं बुच्चति- इमासि चउदसण्हं० साहस्सीणं घण्णे अणगारे महादुकरकारए महानिज्जरतराए चैव तते गं से सेणिए राया समणस्स भगवतो महावीरस्स अंतिए एयमहं सोचा जिसम्म हट्टतुटु समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आया हिपयाहिणं करेति त्ता वंदति नम॑सति त्ता जेणेव धन्ने अणगारे तेणेव उवागच्छति त्ता धन्नं अणगारं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेति ता बंदति णमंसवि त्तां एवं व० घण्णे सि णं तुमं देवाणु ! सुपुण्णे सुकयत्ये कयलक्खणे सुलदे णं देवाणुप्पिया! तव माणुस्सए जम्मजीवियफलेत्तिकट्टु वंदति णमंसति त्ता जेणेव समणे० तेणेव उवागच्छति ता सम भगवं महावीरं तिक्खुत्तो वंदति णमंसति त्ता जामेव दिसिं पाउन्भूते तामेव दिसिं पडिगए । ४ । तए णं तस्स घण्णस्स अणगारस्स अन्नया कयाई पुव्वरत्तावरत्तकाले धम्मजागरियं ० इमेयारूवे अम्मत्थिते० एवं खलु अहं इमेणं ओरालेणं जहा खंदओ तहेब चिंता आपुच्छणं येरेहिं सद्धिं विउलं दुरुहंति मासिया संलेहणा नवमासपरियातो जाव कालमासे कालं किचा उढं चंदिम जाव णव य गेक्जिविमाणपत्थडे उटं दूरं वीतीवतित्ता सब्बट्ठसिद्धे विमाणे देवत्ताए उवबन्ने, धेरा तहेव ओयरंति जाव इमे से आयारभंडए, मंतेत्ति (१२९) ५१६ अनुत्तरोपपातिकदशांगं, - ३ मुनि दीपरत्नसागर Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवं गोतमे तहेब पुच्छति जहा खंदयस्स भगवं वागरेति जाव सव्वट्ठसिदे विमाणे उववण्णे० घण्णस्स णं भंते ! देवस्स केवतियं कालं ठिती पं० 1. गोतमा ! तेत्तीसं सागरोषमाई ठिती पं०, से गं भंते ! ततो देवलोगाओ कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहितिका तंएवं खलु जंबू! समणेणं जाव संपत्तेणं. पढमस्स अजमयणम्स अयमद्वे पं०१५॥०१॥ जतिणं भंते! एवं खलु जंचू ! तेणं कालेणं. कागदीए णगरीए भदाणामं सत्यवाही परिवसति अड्डा०, तीसे गं प्रसाए सत्यवाहीए पुत्ते सुणक्खत्ते णाम दारए होत्या अहीण जाव सुरूवे पंचधातिपरिक्खित्ते जहा घणो तहा बतीसओ दाओ जाव उप्पिं पासायव.सए विहरति. तेणं कालेण० समोसरणं जहा घनो तहा सणवत्तेऽपि णिग्गते जहा थावच्चापुत्तस्स तहा णिक्खमणं जाव अणगारे जाते ईरियासमिते जाव बंभयारी, तते णं से सुणक्खत्ते अणगारे जं चेव दिवसं समणस्स भगवतो म. अंतिते मुंडे जाच पव्वनिने नं चेव दिवस अभिग्गहं तहेव जाव चिलमिव आहारेति, संजमेणं जाव विहरति० बहिया जणक्यविहारं विहरति, एकारस अंगाई अहिजति संजमेणं तक्सा अप्पाणं भावेमाणे विहरनि, लते णं से सुण ओरालेणं जहा खंदतो, तेणं कालेणं० रायगिहे णगरे गुणसिलए चेतिए सेणिए राया सामी समोसढे परिसा णिग्गता राया णिगतो धम्मकहा राया पडिगओ परिसा पडिगता, नते णं तस्स मुणक्वत्तस्स अनया कयाति पुत्वरत्तावरत्नकालसमयंसि धम्मजा. जहा खंदयस्स बहू वासा परियातो गोतमपुचछा नहेव कहेति जाव सबट्ठसिते विमाणे देवे उक्वण्णे नेनीसं सागरोवमाई ठिती पं०, से णं भंते ! महाविदेहे सिजिनहिति, एवं सुणक्वत्तगमेणं सेसावि अट्ठ भाणियचा, णवरं आणुपुषीए दोसि रायगिहे दोन्नि साएए दोन्नि वाणियग्गामे नवमो हत्यिणपुरे दसमो रायगिहे. नवण्हं भदाओ जणणीओ नवण्हवि बत्तीसओ दाओ नवव्हं निक्खमणं यावच्चापुत्तस्स सरिस वेहवस्स पिया करेति उम्मासा वेहलते नव धण्णे सेसाणं वह वासा मासं संलेहणा सबट्टसिद्धे पुचमहाविदेहे सिज्मणा० / एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवता महावीरेणं आइगरेणं तित्थगरेणं सयं(प० सह )संबुदेणं लोगनाहेणं रोगप्पदीवेणं लोगपजोयगरेणं अभयदएणं सरणदएणं चखुदएणं मग्गदएणं धम्मदएणं धम्मदेसएणं धम्मवरचाउरंतचक्रवट्टिणा अप्पडिहयवरणाणसणधरेणं जिणेणं जाणएणं देणं बोहएणं मोकेणं मोयएणं तिन्नेणं तारयेणं सिवमयलमरुयमणंतमक्खयमव्वाचाहमपुणरावत्तयं सिद्धिगतिनामधेयं ठाणं संपत्तेणं अणुत्तरोषवाइयदसाणं तच्चस्स वग्गस्स अयमढे पन्नने। 6 // अणुत्तरोववडयदसातो समत्तातो॥ नवममंगं समत्तं // अणुत्तरोववाइयदसाणं एको सुतक्संधो तिष्णि वग्गा तिमु दिवसेसु उहिस्संति, तत्य पढमवग्गे दसुरेसगा चिनीयाम्गे नेरस उद्देसगा ततियवम्गे दस उद्देसगा सेसं जहा धम्मकहाणं तहा नेतव्वं / इत्युत्कीर्ण नवमाग श्रीवर्धमानजैनागममन्दिरे वीरात 2468 वैशाखकृष्णतृतीयायाम् //