Book Title: 57 Ajit Shanti Stotra
Author(s): Purvacharya
Publisher: ZZZ Unknown
Catalog link: https://jainqq.org/explore/300530/1

JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLY
Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 55. अजित-शान्ति स्तव अजिअं जिअ-सव्व-भयं संतिं च पसंत-सव्व-गय-पावं. जय-गुरु संति-गुणकरे, दो वि जिण-वरे पणिवयामि. गाहा.1. ववगय-मंगुल-भावे, ते हं विउल-तव-निम्मल-सहावे. निरुवम-मह-प्पभावे, थोसामि सुदिट्ठ-सब्भावे. गाहा.2. सव्व-दुक्ख-प्पसंतीणं सव्व-पाव-प्पसंतीणं. सया अजिअ-संतीणं, नमो अजिअ-संतीणं. सिलोगो.3. अजिअ-जिण। सुह-प्पवत्तणं, तव पुरिसुत्तम। नाम-कित्तणं. तह य धिइ-मइ-प्पवत्तणं तव य जिणुतम! संति! कित्तणं. किरिआ-विहि-संचिअ-कम्म-किलेस-विमुक्खयरं अजिअं-निचिअं च गुणेहिं महामुणि-सिद्धिगयं. अजिअस्स य संति-महा-मुणिणो वि अ संतिकरं स्ययं गम निव्वुइ-कारणयं च नमसणयं... आलिंगणयं.5. पुरिसा। जइ दुक्ख-वारणं जइ अ विमग्गह सुक्ख-कारणं. अजिअं संतिं च भावओ, अभयकरे सरणं पवज्जहा... मागहिआ.6. अरइ-रइ-तिमिर-विरहिअ-मुवरय-जर-मरणं सुर-असुर-गरुल-भुयग-वइ-पयय-पणिवइअं. अजिअ-महमवि अ सुनय-नय-निठण-मभयकरं रणमुव-सरिअ भुवि-दिविज-महिअं सयय-मुवणमे...संगययं.7. तं च जिणुतम-मुत्तम-नित्तम-सत्त-धरं अज्जव-मद्दव-खंति-विमुत्ति-समाहि-निहिं. संतिकरं पणमामि दमुत्तम-तित्थयरं संतिणी मम-संति-समाहि-वरं-दिसउ... सोवाणयं.8. सावत्थि-पुव्व-पत्थिवं च वरहत्थिमत्थय-पसत्थ-वित्थिन्न-संथिअं थिर-सरिच्छ-वच्छं मय-गल-लीलायमाणवर-गंध-हत्थि-पत्थाण-पत्थिअं संथवारिहं. Jain Education Intemational Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हत्थि-हत्थ-बाहुं धंत-कणग-रुअग-निरुवहय-पिंजरं पवर-लक्षणो-वचिय-सोम-चारु-रूवं सुइ-सुह-मणाभिराम-परम-रमणिज्जवर-देव-दुंदुहि-निनाय-महुर-यर-सुह-गिरं. वेड्ढओ.9. अजिअं जिआरिगणं, जिअ-सव्व-भयं भवोह-रिउं. पणमामि अहं पयओ, पावं पसमेठ मे भयवं. रासा-लुद्धओ.10. कुरु-जण-वय-हत्थिणा-उर-नरीसरो पढमं तओ महा-चक्क-वट्टि-भोए महप्पभावो जो बावतरि-पुर-वर-सहस्स-वर-नगर-निगम-जण-वय-वई बत्तीसा-राय-वर-सहस्साणुयाय-मग्गो. चउ-दस-वर-रयण-नव-महा-निहिचउ-सट्ठि-सहस्स-पवर-जुवईण सुंदर-वई चुलसी-हय-गय-रह-सय-सहस्स-सामी छन्नवइ-गाम-कोडि-सामी, आसी जो भारहम्मि भयवं. .वेड्ढओ.11. तं संतिं संति-करं संतिण्णं सव्व-भया. संतिं थुणामि जिणं, संतिं विहेउ मे. रासा-नंदिअयं.12. इक्खागा विदेह-नरीसर। नर-वसहा। मुणि-वसहा। नव-सारय-ससि-सकलाणण! विगय-तमा! विहुअ-रया!. अजिउत्तम-तेअ-गुणेहिं महामुणि! अमिअ-बला! विठल-कुला। पणमामि ते भव-भय-मूरण। जग-सरणा। मम सरणं. .....चित्त-लेहा.13. देव-दाणविंद-चंद-सूर-वंद! हट्ठ-तुट्ठ! जिट्ठ! परम-लट्ठ-रूव! धंत-रुप्प-पट्ट-सेअ-सुद्ध-निद्ध-धवल-दंत-पंति।. संति! सत्ति-कित्ति-मुत्ति-जुत्ति-गुत्ति-पवर! दित्त-तेअ-वंद-धेय। सव्व-लोअ-भाविअ-प्पभाव! णे! पइस मे समाहि.नारायओ.14. विमल-ससि-कलाइरेअ-सोमं वितिमिर-सूर-करा-इरेअ-तेअं. तिअस-वइ-गणाइरेअ-रूवं धरणि-धर-प्पव-राइरेअ-सारं. सत्ते अ सया अजिअंसारीरे अ बले अजिअं. तव-संजमे अ अजिअं, एस थुणामि जिणं अजिअं. Jain Education Intemational Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोम-गुणेहिं पावइ न तं नव-सरय-ससी तेअ-गुणेहिं पावइ न तं नव-सरय-रवी. रूव-गुणेहिं पावइ न तं तिअस-गण-वई सार-गुणेहिं पावइ न तं धरणिधर-वई. खिज्जिअयं.17. तित्थ-वर-पवत्तयं तम-रय-रहिअं धीर-जण थुअच्चिअं चुअ-कलि-कलुसं. संति-सुह-प्पवतयं तिगरण-पयओ संतिम महा-मुणिं सरण-मुवणमे. ललिअयं.18. विणओ-णय-सिर-रइ-अंजलि-रिसि-गण-संथुअं थिमिअं विबहाहिव-धणवड-नरवड-थअ-महि-अच्चिअंबहसो. अइरुग्गय-सरय-दिवायर-समहिअ-सप्पभं तवसा गयणंगण-वियरण-समुइअ-चारण-वंदिअं सिरसा. किसलय-माला.19. असुर-गरुल-परिवंदिअं किन्नरोरग-नमंसिअं. देव-कोडि-सय-संथुअं समण-संघ-परिवंदिअं. सुमुहं.20. अभयं अणहं, अरयं अरुयं. अजिअं अजिअं, पयओ पणमे. विज्जु-विलसिअं.21. आगया वर-विमाण-दिव्व-कणगरह-तुरय-पहकर-सएहिं हुलिअं. ससंभमो-अरण-खुभिअ-लुलिअ-चलकुंडलंगय-तिरीड-सोहंत-मलि-माला. वेड्ढओ.22. जं सुर-संघा सासुर-संघा वेर-विउत्ता भत्ति-सुजुता आयर-भूसिअ-संभम-पिंडिअ-सुठु-सुविम्हिअ-सव्व-बलोघा. उत्तम-कंचण-रयण-परूविअ-भासुर-भूसण-भासुरिअंगा गाय-समोणय-भति-वसागय-पंजलि-पेसिअ-सीस-पणामा.?? वंदिऊण थोऊण तो जिणं तिगुणमेव य पुणो पयाहिणं. पणमिऊण य जिणं सुरासुरा, पमुइआ स-भवणाइं तो गया. ?? तं महामुणि-महंपि पंजली राग-दोस-भय-मोह-वज्जिअं. देव-दाणव-नरिंद-वंदिअंसंति-मुत्तमं महा-तवं नमे. ?? अंबरंतर-विआरणिआहिं ललिअ-हंस-वहु-गामिणिआहिं. Jain Education Intemational Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पीण-सोणि-थण-सालिणिआहिं सकल-कमल-दल-लोअणिआहिं. ?? पीण-निरंतर-थण-भर-विणमिय-गाय-लयाहिं मणि-कंचण-पसिढिल-मेहल-सोहिअ-सोणि-तडाहिं. वर-खिंखिणि-नेर-सतिलय-वलय-विभूसणिआहिं रइ-कर-चउर-मणोहर-सुंदर-दंसणिआहिं. चित्तक्खरा.27. देव-सुंदरीहिं पाय-वंदिआहिं वंदिआ य जस्स ते सुविक्कमा कमा अप्पणो निडालएहिं मंडणोड्डण-प्पगारएहिं केहिं केहिं वि. अवंग-तिलय-पतलेह-नामएहिं चिल्लएहिं संग-यंगयाहिं भति-सन्निविट्ठ-वंदणा-गयाहिं हुंति ते वंदिआ पुणो पुणो. तमहं जिणचंद, अजिअं जिअ-मोहं. धुअ-सव्व-किलेसं, पयओ पणमामि. नंदिअयं.29. थुअ-वंदिअस्सा रिसि-गण-देव-गणेहिं तो देव-वहूहिं पयओ पणमिअस्सा जस्स-जगुत्तम सासणअस्सा, भत्ति-वसागय-पिंडिअयाहिं. देव-वर-च्छरसा-बहुआहिं सुर-वर-रइ-गुण-पंडिअयाहिं. वंस-सद्द-तंति-ताल-मेलिए तिउक्ख-राभिराम-सद्द-मीसए कए अ सुइ-समाणणे अ सुद्ध-सज्ज-गीय-पाय-जाल-घंटिआहिं वलय-मेहला-कलाव-ने-राभिराम-सद्द-मीसए कए अ देव-नट्टिआहिं हाव-भाव-विब्भम-प्पगारएहिं. नच्चिऊण अंग-हारएहिं वंदिआ य जस्स ते सु-विक्कमा कमा तयं तिलोय-सव्व-सत्त-संति-कारयं पसंत-सव्व-पाव-दोस-मेसहं नमामि संति-मुत्तमं जिणं. छत्त-चामर-पडाग-जअ-जव-मंडिआ झय-वर-मगर-तुरय-सिरिवच्छ-सुलंछणा. दीव-समुद्द-मंदर-दिसागय-सोहिआ त्थअ-वसह-सीह-रह-चक्कवरंकिया. ललिअयं.32. सहाव-लट्ठा सम-प्पइट्ठा अदोस-दुट्ठा गुणेहिं जिट्ठा. पसाय-सिट्ठा तवेण पुट्ठा सिरीहिं इट्ठा रिसीहिं जुट्ठा. ते तवेण धूम-सव्व-पावया सव्व-लोअ-हिअ-मूल-पावया. Jain Education Intemational Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संथुआ-अजिय-संति-पायया हंतु मे सिव-सुहाण दायया. एवं तव-बल-विउलं, थुअं मए अजिअ-संति-जिण-जुअलं. ववगय-कम्मरय-मलं गई गयं सासयं विउलं. गाहा.35. तं बहु-गुणप्पसायं मुक्ख-सुहेण परमेण अविसायं. नासेठ मे विसायं कुणउ अ परिसा वि अप्पसायं. गाहा.36. तं मोएउ अ नंदि. पावे अ नंदिसेण-मभिनंदि. परिसा वि अ सुह-नंदि मम य दिसठ संजमे नंदि. गाहा.37. पक्खिअ-चाउम्मासिअ-संवच्छरिए अवस्स भणिअव्वो. सोअव्वो सव्वेहिं, उवसग्ग-निवारणो एसो. .38. जो पढइ जो अ निसुणइ उभओ-कालं पि अजिअ-संति-थयं न हु हुंति तस्स रोगा, पुव्वुप्पन्ना वि नासंति. .39. जइ इच्छह परम-पयं अहवा कित्तिं सुवित्थडं भुवणे. ता तेलुक्कु-द्धरणे, जिण-वयणे आयरं कुणह. .40. Jain Education Intemational