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________________ गांगक्त सहरपंचयात के सरिहा जा दो महानदी उपवह तितिंन्हा सीया देवानारिकांताचे वा एवं रूपी वा सदरपवनाती मदाः पत्र एकदा हिरणेता रहेवार गप्पवाद हाहाचामि वैतवार जनमंदर दाहि महावादा एवमादा हाबजा हावाहाबऊतारा दिये सम्पवाय ऊसमाताहरिय हदाहा यष्णवायद्दाहाच दावानारकतप्पवाय कूलप्पवायह हाच वाज चायदह चवाज वाय हा एवं नदीनारिय लवीचवर नावाबुद्दीवि शादामागोराव माकोडी कल जावरा विबुद्दवदवा सराह गाऊया उत्रिहादा पली चापा गाम स्मार तीताति पस्पाशाएवज लीशम मीस उस्वापि जावपाल एवं श्रागमिस्साए सलिए जावयाला संत समगादारित माप जति वानप्पतिदा। ऊप्प जसो तिथा । एवै च वहिर्व सादिसार मोजबु सरोदेरव एगसमाशादीरिताः उप्पतिवाप्पी तिवाप्प एक वही एवेबलदे रम्मा स्मरप्प एच15 हरवास
SR No.650038
Book TitleThanang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages180
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size48 MB
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