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मरणा
एवएक बायकाकडी व व्यक्तिविवेदद्य श्रीजिनधर्म साधनांमनु एटलेहनेएमनुष्यनो नव वरियामस्ये याएटलेजीवरहितथथा पनोजव हास्या ते ज्ञानी मुनिएम चिंतता हवा वरायाजी विद्या झेला। जिएटम कर दिलाकर विपत्रा फाईनाए । जिहां गुरुबे तथा गुरु नागुरुबाई तिहा
मचिंतनेंने साथ
काउंस गायारिपारिनंमुनिघाल्या
या चिंतितो सालपारिश्रा कान समानतेचली ॥ जचे वय गुरु गुरु एगे। इ गुरुनेशदशावर्त्तचंदना कर श्री गुरुनथा श्रीना
विनेश रिवहियमिमी
मागम आलोइनें मरा
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रसाए समागनंद शं॥] ॥ का नया यकिक इसम का रस ।। तथाश्री संजूनि विजय मूरिगुरु सिप्प होgaat देस
नेगुरु आलिने हाथ नीगंजली जोमाने मधुबें
संविदा यस्सा वित दो।
गोविलपुरु
ग
पूरय कथं लिए हुई ॥१२॥ चप्रचाराय
महाप्रा
काकाले कालधर्मप्रतिपाम्या तेपुरुष कि
नवाबीसर
तेवी सग्गविनिपरिसा प्रदम्मिका प्रकॉलेकर जधम्मेशय शाक हिंग उपनां कि हां कई योनिमंगलेपना कम्ने विषेयरिचमल कर स्मै चवन्ना कचईडीशी नं महते ॥ कामपरिचामिकि रस तिने विगा। किसा
बावीस
के किम
भो किम
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