________________
Jain Education International
सर्वा
पालिने
कानकरि
तेस
इंड्ने
सात असे राज्यसरहिन अस वालवंत र ने एकरी विषे सवा पापिया सत्तप्रदो स्त्रतिर सहिथा। कालंकि च्वा ॥ वांएम तरस्सा स वेनामेदक्षिणदिसिग देसे उस अपल्पोपमने ओठ सुवजानामेदे विपले अपजस विच रस दाहिदि स्म। देखएपनियधानया सच्चा नामदेखि उप्पतिरसंतिसा). अवधिज्ञाने करी पूर्ववनामधिजा ते बाबीसवालियापऐ उपनादिवइदे सर्व वा वाणावं तरीहि दबस व संबंधितेऽनिसा वाणिय ग्गपासित्राहरु (नाई जावत् विचरनदेव पुनवनी संगती सातापनि सवाशिया गाएं।। प्राएं जावपरिदवंताएं सघएग सदिया। परमप्रीत का रिवालियाने साहिजथानुं निचार अधिस
विसांवाल दिनरी
हा
मीने
संतोष नेबावीस वाशिया पामीने
ते बावीस वालिया
एमविंतरी विचारे
Why d
लमिवर्ततादेमे
वाए चिंतरी ने साहारि करी
परमपीए| सादाए ऊं करेति ॥ तमाएं अमिसा तेऽविशवाशिय गा। प्रधा नसुचसानामे बकरी छानेकरी ga जावपरिहवं ना! तिसे सूचच्चा वाणवंतरी एसा दा के ए॥४ए॥धन्ने एप्रन्त्र
FRES
CHI
சமி
For Personal & Private Use Only
सत्य
टपर
www.janelibrary.org