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________________ GU वकसम्पनहष्टपुटलतां संता वियशश्री वीतरागसम्पदृष्टीनई एह चक्रवोर नमक हवली तेकेवा संयता संयम ताम्राय विरता। सावद्यन्याया र घकी कोई निवृत्रनि घाघाकडऊ टिलका वडुल लावा कण्टकरी कुटिलवांक मरलपणार हिना कडक कडुविपाक इंदारुवल कहतीचपल क्षणि विवधवनविषयक क्षामहित दखलावा दिननवतिप्रायने हनन एडवा पुरुषलकबोलता ऊघा का धीलुछा। लोली हवाघोटन बोल इंस्पासणी|सयाय परजीवन इलयऊपजा विवाली तिघावली केहना। हम्म ठिया कहती हा स्पानी पायकूड नं बोलतघास की कहतां साषिया । तघा चोर नश्वर सिघातघा कल्या लादी मोवीया। जिनज्ञईकरारा जीता कानरद व्यापवाद्यूतकार जारी गहित गहरा कहतीजे ली वाहत तघाकक्वगुरुग कारगार कल्क करतो पापते एाई करी गुरु सारी तक दिया माया तेहनाकरादार तयाक लि गीतीर्घिका तघानव हियाकद तामायाशंकराज तिघाना गियगा तिवाणिया प्रसिद्धातिके
SR No.650035
Book TitlePrashna Vyakarana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages518
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size218 MB
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