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लोगवशं दिवयकें प्रिय तिर्यचना पुरक स्वरूपक5 | पत्त्राए गिंदियां डिटविज लामा रुवाति मबादर पात्रमात्र पत्रेयसरी नामसा दावा यत्रेय सरीर जीवित विकालम से खिजगंलमंतिया कलेवांतकाएफा सिंदिय विसंपवत्ता डरक समुदये। पिवेति पुगोश्त वापरल वतरुंगो।व्याख्या जीवप्राणिनाक गणत्व हारपतली गति दीया दिकतालमीतमी एकेंदिया पिता डरक लोग शतक यिक हा पृढविकदाष्टची स्फ टिकादिक४३ गमप्रसिद्ध/ ज लयांग ने उस दिम करगादिकाजल एक हतांत्र। इंगलेज मुम्मुरादि अनेक दामा तां वायुना मकनकलि का मंडलिका गुंजा दिले दमकका रातमा वनस्पतिवृक्षादितघाकंदा दिनेक ले दांव्यादिक एकें प्रियकदियता कें प्रियाकदवा सूक्ष्मतघा बादर तथा पर्याप्त।। तघात् नस्पती न विशेषकद प्रत्येकश रिनामत्वस्पती हवा पाकं प्रियमा हिंम्रायाते जीवके तलवकाल श्रमशकिदव