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________________ प्रत्ययना रकीसंबंघियात वना कारणाताईकरीतिपापनाकार कजीवनारीरवनिवनतिकदत्तां करते शरीर केव झुंड कहती सर्वाकार शंकरी लक्षपावली किन्हवाज बील छ दरिमण्डी दषतां गाढनुपातघानी दागं कहतालय नऊपजा वापहाररावली कह ठिकहता हाम्रायु कहता नसा जाला नखरा मण्प्रसिघ एतालकरीवर्जिताता लगा सोलापर दिन तघाडरक विमदं । दुःखननमहाराव नारीरकरशवितोय तिवार पब शेतनारकी शरीरानंतर प्रिय पर्यात मनप्राणपर्या तिला घाययति मन पर्याति नवगता कहती यऊताएतावता पर्याप्तिकरी पर्याप्ता। पांच प्रियकरी विदेतिक हतलाम । श्रानकड खना का रास्पकरायलाएकतायाडुई वीविदनामीतिशंकरी केदवीश्वेदना शतक हाल बन सुरवर दिततघा बलक हतबल व तितावतानिवतावि वायाका विडलक हतां सर्ववारी व्यापिनी तिम्रा केट कहता [ब हलगीसरीघी किंडलगारसम तीनघी जहवी शिवदवी किरा तथा रकहती तक्कालशरीरव्यापक !माधानी वेदना त्
SR No.650035
Book TitlePrashna Vyakarana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages518
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size218 MB
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