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अवमावमंसादिरकेर्वपि ॥ गुरु बंधवमया मिन्नवर कोणा दिया इंटरका
बज विदा पावंति मगरमाई दियर्यम्। सा । जावज्जीवं रुद्वरावर फरुसवा नजण निश्रवयविमणाक लोया। कुवाससांक दीस किलिस्तान विमुद्री ने वन नवलसंतित पिपुलरक' सयमपलिता व्याख्या तयदी मंतिहा । इदीम मनुष्यलोक विष। तदीस कदवा तक हतीद रिश्तघाडुरंतक दती। जहन एतावता मरणातलगी एकांत बीमा तथा गय रिवजिया। एतन लोग क वीनस कशदवादी मतवा दियाकहती कहता हनिम्र प्रदमित्रको नाता घतिक जेहना चां बडीशरीरनी फाटी बश ताबाच करू दिलीपाडु इंसि हितको रजे दना फ रिसा तथा विरक्तकश्यरति प्राप्तसमा धिवत शामक ती बली
सदाईपरवमयरात्रि तघाने रापरिवर्जित। एतावता निर्द्वनान लोग खरी कप दिया कता विक्रविन वा।