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________________ | माटेका गंगावाड्हे एह नारथमोचने वातेनाथ) इमदेवताना छत स्थितिमा होइ बीच्यारी जो ज्यो। ए |बावासमो बोलथयेो ॥ २२॥ तथा प्रतीमानाथाप करें एबीबतमेप्रती मा केहि दस्ताना करा मी मोबा दावीर तो पेहल रसगृहस्वा वास पणे हता|पवेंवर स बेतालीस ४२वारात्री याथयते विषुबाजेको माहा वीरनीप्रती मा करी बोति केही वस्वानी करी मां भी बो जो इम कहे जेनाम् गृहस्वनी अवस्था नी करी मांगी इंबई तोवारात्री यानें पग्रहस्वनें तो चारीत्रा या वांदे नदी नें जो श्म कहेजे ब्रम्हचारीत्रीयाना वस्त्राकर मागतो यानें प्रतिमामा दिवारात्री यानु स्युलाबचारी त्रियानें तो फुलपाणी या तर त्या दिए के बोलन कल्पनेप्रतिमानें तो फुलपाणी या तरणच्या दिधावांनी दिसे बंशम जो ज्यो जेहनें वंदना कीजें तेहनें वीएन लषे काम वादाश मोक्षमार्गे तो आराध्याबें पण मोच न्याराध्यनथी। जी मचारात्री योंगु एवंत होइत सम्प्रावका दिकतेचा रात्री या गुणवंतनें वां दिकदाचा कर्माजी गईचारीत्रायो लगनथ्यो ऊतोस) तोदकस्याता दोकसेवेनें लिंग होईतो ही पण तेहने को श्मा हो होइते वादन ही तिएनला तला जे गुंए हिनथयो तो जुयोनेजेहमा हि ज्ञान दर्शन वारा च नोए के गुएनही तेहने किमवा दिश सिद्धांत माहिती मोक्ष मारग वंदना कगुळें विविकी हो इलेवा |||एत्रावासमो बोलथयो॥२३॥ तथाश्री वीतरागे सिद्धांत माहिप्रतीमा की हाइमारा अध्यनकही जे को प्रतिमाश्राराध्य कहे बेतेकन्हें एहवा एक बोली ले लिया। प्रतिमास्पानी कराव १७
SR No.650034
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages50
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size23 MB
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