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________________ वाहतीची दे। संजय वारयात्रप डियाजदा सतमेस ए/जावरगत बाले यावासवदा श्रीनगवतीस्तत्रने मास सकने साल मेन तोजुन ने मध्यात्वीपणा असं एवारण इत्यादिबोलजा ऐ बरं ॥ एसात मोबो लिथयो।।७।। तथा श्री वीतरागदेविं सिद्धांतमा दिसाचाराची यानें श्री वांयां गम में महाव्रतपाध्यानाफल कावरी तथा श्रीउतराध्ययन वो वासमामध्मो पांच सुमती वरप गुप्ती ना कला तथा उतरामेनी समे मेनें दसवीधी सामाचारी कामुकच्या हारदिाना फल/ तथा श्री सगवतीमध्येबारे सदेत यकिना फलात्तथा उतरा येनत्री समे श्रयेनें दसवी धिंवी या क्वकी धाना फल बोल्पा तथा श्रीवालांगमध्येका तथान तराध्न अध्यन येहेले वानयकी नाफलातथा रमेन्मध्येनेंचा स्त्रिपाल्पा नाफलातथागत्रा समे मेनें बोल पुत्र ना फल बोल्या तथा श्री व वाई पांगमध्ये श्रावक ने बारव्रतया स्याना फल तथा श्री त्र्यनुं जो गद्दारम में सामाइकच्वा संश त्यादिकावस्पग करतां कला तथा श्राव कनेंजो साक्ष चारीत्रीय कोसा वा द्याना फलतथाव स्त्रपात्रदीक्षाफला तथा उपाश्रय दीना फलाइत्या दितीर्थकर गणधराच्या वार्यउपाध्याय साजोखाराम तोते नाणार पैरेंना फलश्री सीहातमाहिक साबांच्यनें जो प्रतीमा मोक्षमार्गमा हिच्याराध्य नीतों को ईसि दांत मां हिप्रासादकराव्याना। प्रतिमाघडा व्याना/प्रतिमातराव्यानातथाप्रतिमा बांद्याना तथाप्रती माया गल शीर वस्तु ढोवे बेतेना फल) तथाप्रती मायागता बनाता वराना फल इत्यादिघावांनी लोकप्रती मायाग लें
SR No.650034
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages50
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size23 MB
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