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________________ श्मकवी बासरी मानुष्य देवता को भोगनेंस नाका लोग भवि सद्भगुष्णक्रयेल बार मनुष्य ना आऊषा कामनें-थ घ्यादेवताना प्राउ बोको इस बरे उत्तराध्य एवंमाणुसगा का मा दिव का मेल अंतिर सरुस्संगुलियान्ती आउका प्रायदिद्दि यनयः धर www नानियुतं देवतांना उषा जे कनैजनेंस हो ना प्रस्ताव थकी अनेक शिष्यपूर्ण स्वितिते हवेत ९६ संव्याने ८४ ला माहाराने आयुव लो पूर्व करिये तिवारे नियुत जेप्रयुच्ने कामदेवतांना जीयंति करुण्ारेबें डट शताव को मनोवि बेंजी साथ का Castiliant या २२ जिवासानउ या ( जा सायन्नव हि । जो लिजी यंतिऽम्मे हा उणे वास सो वर्ष मांहिके 23 जिमको इत्रिणी यांचे निकै को व्यपतनारथ की ग्राम तरेवाल्या व्यापार जली माऊ तिоगयानंतर एक व्यापार बीछे एक करतला भूलगो सयान ए ए जहा यतिन्निवलिया या । मूले धित्रण निमाया। एगो चलड्लानं ए मालले मासुंधरेान | घरे आयोति जिथी या पोत व्यापार नै विजयमानिम बालस्वी तथवारणी नो भूजल आमीर और गोलविदारिलामो अलवाकिया बिनवि एउपमा जागे 54 प्रत्रको विवहारायणपुत्र तिपुत्र ने पिता सत्र २ दी नारदे देसावनलीला न्याए जो दिवसा युकरीमूलगी पूजी लान उपाजस्व वहता आन एवं धमे विद्यालय जो त्रिज्येद्मांतरेंग यानिमान व्याजनको सति याज्यों ना जोबेट माथी ती जो ले मन में अमने। आवस्य इम जाला एलसनायें प्रथम पुत्र ने धरनेकटंबना सर्वचार बाजापुत्रने व्यापारी तो जानने थोक मासे की इतिकथा सं
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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