SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कीया करें ज्ञान की जमाबैतेसला 5: खनानाजन मोनानुयरी अन्यतीयांध्यासंसारनै विषैतेसंसार के टूजन्मजरामरव्यरूपी उमा अंतनदीतलं - रंग कारणक सर्व संसारमा मनावदि उत्तराध्ययवके । सबै तेऽष संतवाच्यवन्नादी हम संसार मिं प्रांत एतिहासा यन५:४७ सीजोड्ने तेनावदिशि अप्रमतथकं निमकेंद्री जीव २८ सुट वीजल जलनीविराधना था तिन लवाया मूला खे संसारथी बादि उंची प्रोबै रहनुजालाने विषयादिक किंवादि SARA गा७ पोरबी यादयविरति छदिसंयस्स - अय्यमज्ञेोयरिघ३ /ब दियान् दुमादाय | नावकं खेकयाइदि) चन ९९ वेदिति ९२ नारया देव संघामार अलगाकरा मिथ्या लादिक कालेकीया करवानौ अवसर वो आश्रवकर्मनाकारण बतौ संयमाचालें काकतेययाविवा शुद्ध आहारादिकें करी शरीर ९४ संसारयकीनधरे રી मुकम्मखपद्वारा इमदे हर मुद्दरे । २४ विगंच कला देऊ । कालकखी परिवा संयमनिदिए आरयोमी गृहस्थ अर्थका मात्रानुंजाल उदजन्माक्षर करे १५ सभ्यम्प्रकारेंऽर्गतिथावयिंजेलेते लेपमात्र विलछे निष्टतादिकनी नरदेवार जादिस्मादिस्स पूजेस सरस्तंनि अश्रेय आदि रामाय चिंसवाल स्साकमेल हूलत खए|२| सनिदेव लऊने द्य (लेवमायाइस जिम पंजीयोपाखमात्र ले इसमें निमसाई विल पात्रादिक उप एमला सुप्रसवुर्निर्दोषार ग्रामनेंदों नित्पवास समा 行 नौन्यकरणहार माझ संजप्रवृत ५७ जए परखीयत्तं समादाय निरविखे परि३९१/एस एणा समिन ल । ग्रामन्पनिय र
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy