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________________ Nia अथ खुडाग नियं विध्ययनं जैतला मिध्यात्लेसहित सगलाई सगलाई तेऽः खनाउपजा दरिशदिके पी अविद्यारहितपुरुष लहार जालना अनेकप्रकारे हिताहित संसारने विवेजेसं सारखं साजोल चेतनथी ॥ श्रथखुडागनियंचिद्याध्ययनं । जावं तिविद्यापुरिसा सबैतेऽखसं सवा (लुप्यंतिवड हातको एक निहार व्यतिहारीणदिक देवसवे जिन्न महिप्रादेषी इमरतले नमे अनेक उपायांतर करे पि सोनूठा संसारंमिगत एकिमदीयनउपार्जे यतिऐं चिंतव्य निरर्थक स्युंनमुं बुंयानोव यो चाटें एक गोमेंट्उला र तिही एक विद्या साधक विद्या साधतो दी तो थमा देऊन देषिने चिंतते स्नो स्वरूप आज जो दिखें तो किसं घडानें पूजा घर 2 मंदिर वस्त्रसीनोस यो थालक चोला धन छोन कोई मां तिघटायें स्त्रियादिक वंबित सुष जोग रात्र विषयनेंचि ऐ मोहें सर्वसंयेषी एकलै निराहारथ इस तिवारेति निर लेउ लागसी एजलगवा द्रमचिंत दी लगवा लागो कित कदिखाडेर निव्याचरनें बैतिक ऊंदताहरें चर आयोनुं जिम सुधा तिमकरौतिवारे तिक तिवारें दरिये कसे एकं प्रायेोयवैसि६ पुरुषैक लो एहनाचि घालें एत लोक सौ सायें नहीं घमाल पढ़ें लिखें कां मर्क नया पोषिणमंत्रनादरिक जायायत लेऊंन पूजी अनमाथै वाटी नाच (टेऊंन पडी चागमज्ञांनी पुरु षेंसंजीवनी विद्यानला श्री ते तसेच करें दिन में सुविद्यारूप मार्ग जाऊं सौ नयां त्रिदलपुर कथाः॥ समरक विचारानिरिका पात्री बंधने एकेंड ओपल येते जी ने हितकारी कायजीविषेत्री विद्यातिकायादिक जातिना वधण सत्य संयम मबे में करश जामा N समिखयं हि एतास पासा जाइयेहेबङ अप्पाणे सच्चमेसिद्या मित्तित्रएस कप्पए।
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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