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________________ sty कालें व हिसीयाली पोरसी ई गुरुसमी निवारण बीएकोले बहिरें सूत्रादिकसलीन त्रार्थ यांनी तवें एके रहित लवे कालेय-अहिं ङित्ता तिर्न नाएाएगी कहाँ | की हो तो काजल की सेनेनथेकरी का उजैलवें नही ყო नक कदाचित कोकीधर्मा-आलोवेन जिनका वातैषा बोलें आघवेडालिये कहु |नगिल्दिविद्यक विनीत सा‌लिया घोमानीरें मिगुरु नौक्वन कस चाल मानविक वारेवारन वोजि शिष्टारंग सरा मोटा छोडानीक बो मिळे याइवि कडकडेति नासिद्या कडे नोक डिलिया (मागलिय स्वकस्सा व वागावं कसचान कैसी ही कुटिलाईलोवर्जिव तिम ९२ रु नाव न विचारावेन नाबोल कोमल वचन शिव्या विनीतसालि जोलि हारकशिष्य अावाराले रुनको शकस्संवद६माइले यागपरिवार पासवा धूल वया ऊशीला मिरपिचंड वंत करें सिष्य असुष्पिष्टरुप्रसन | कामकाज विषादों गुरुनाविनय सगुरूने से उपजा करेला काटेरुनाचितकेचाजला तत्परते मुसिष्य जालो an सुविनीतशिष्य पकरतिसीसाच तालुमालऊद खोव वेया । पसाय एतेऊ इरासयपि । १३) रस्तः। मरुाचार्यनदृतः॥उजेली नगरीये चंद्र रुऽश्वाय तिरी सालु छोडें बोल (६ रामच क्वमाहात्मायें नगर दूकडा प्रावीरौ है। मंत्र सियं चरितं वेति (वें अवसरे ते नगर मादी को कविवहारीयानो पुत्रानव पर लिया लासहित नगर मध्धको क्रीडा करतो जहां चारुाचार्यवैति यावी वादी गति वैसाले को गुरु बेनोइजी दिहाने या व्या 4b
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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