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________________ wwwwwww एकत्र करी टिग करै। सीवर सनीको करामाजर्जर मंगल थोडो दृष्टिबलाते हने को एक स उत्तराध्य पडी आचीक है। एन सर्व एकवाकरी आयें। तेज्जूच्या करें तो तेलयितेोस दो कराइन यनः २९ जाऊ । अनि होइझवलि किनारे श्वसथीकोन के रिवाल हो पिलम बुष्यजन्म का स्वल तो नलतपुर जितशत्रु राजा तेहने पुत्र परस्पर राज्य ने ली से पा वैतिदचे। राजाको आयणस्तान सनाई। अष्टोतरस शेतरसहस्र हासि नी सिहोल आति बै तिले जुये रमतो एके दो लिएको सिश्मि करतो एक लगे दाले रस रुख हो सौ म चढतां प्रगेतर सहसथाना एक जग दोरोजी या तिने राज्य असुं। एरुवो राजानी वचनसानला पुत्र मन में ख्याती दांगलाइनें एर किवारेश्बेवार तथा त्रिल दाल - अवि तिवारें ते हर्ने विशेषरस लागें बिल किवारे इएकलग दांले जिमराजानाक्चन बेति मतिले पुत्रे कि वारे पूजीयान्मयीन जीयादें । किवारें जोदेव से जीये विणप्रमदिका मनुष्यजन्मोतरं लीन ज है। अत्र पंचमाष्टशतक एक विवहाराये | प्रा हालोनी अने करल एकवाकर प्रजुसनरी तालोदे (मुंके । पुत्रपरिवार ने विस्वासनदी तिरुवे कुल एकडी पलाशलाईक एके गोमिनुं उसंम्न लिलोचनो वासोतिये गायेगयेोति स्वैश्वे परदेसि रचना ग्राहक आव्याजाल तिविवहारियानं पुत्ररचना मजूस घाडी तिरत्र मोलकरी रलनोलेर जना ग्राहकने आप्पा तेननग्राहक रनले इज्जा आयच्या देस याति हवै केत्तले का दस्डेतिव्यव हारियो घरे मामनुसन्धामा सं-नाले दिवेंतेरचन तिवारे पुत्र गोपुत्रे कलौ ग्राहक घ्या आया जाली तमाटेमसेवेच्या तिवारेंश्रेष्टिक है। प्रारामेल्या मारेक
SR No.650033
Book TitleLokashaha ki Hundi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages424
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript
File Size200 MB
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